NOTA Votes in Lok Sabha Election Results: बिहार की सभी लोकसभा सीटों पर इस बार किसी न किसी वजह से सरकार या प्रत्याशियों से नाखुश चल रहे मतदाताओं ने नोटा पर जमकर वोट किया. बिहार के पहले लोकसभा क्षेत्र वाल्मीकिनगर सहित अन्य सभी 40 सीटों पर इस बार नोटा दबाने वाले मतदाता प्रायः तीसरे या चौथे स्थान पर रहे.


वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘नोटा’ को बिहार की गोपालगंज सीट पर सर्वाधिक वोट मिले थे, तब इस क्षेत्र के 51,660 मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना था और कुल मतों में से करीब पांच प्रतिशत वोट ‘नोटा’ के खाते में गए थे. वहीं इस बार भी बिहार में नोटा बटन पर सर्वाधिक वोट गोपालगंज लोकसभा सीट पर ही पड़े. विजेता जेडीयू की प्रत्याशी डॉ. आलोक कुमार सिंह को 511866 मत मिले, उपविजेता विकासशील इंसान पार्टी के प्रत्याशी प्रेमनाथ चंचल को 384686 मत और नोटा बटन पर 42863 मत पड़े हैं.


नोटा के मामले में दूसरे स्थान पर रही हाजीपुर सीट


इसी प्रकार बिहार में दूसरे स्थान पर हाजीपुर लोकसभा सीट रही, जहां विजेता एलजेपीआर के चिराग पासवान को 615718 मत, उपविजेता राजद के शिवचंद्र राम को 445613 मत और नोटा पर 36927 मत पड़े हैं. तीसरे स्थान पर झंझारपुर सीट पर विजेता जेडीयू के प्रत्याशी रामप्रीत मंडल को 533032 मत, उपविजेता विकासशील इंसान पार्टी के सुमन कुमार महासेठ को 348863 और नोटा पर 35928 मत पड़े हैं.


इस मामले में बिहार में चौथे स्थान पर बांका लोकसभा सीट है. विजेता जेडीयू के गिरधारी यादव को 506678 मत, उपविजेता आरजेडी के जयप्रकाश नारायण यादव को 402834 मत और नोटा बटन पर 34889 मत पड़े हैं. नोटा पर अगर सबसे कम मत पड़ने की बात कही जाए तो पटना साहिब सीट पर सबसे कम नोटा पर वोट पड़े हैं. यहां पर मात्र 5559 और पाटलिपुत्रा सीट पर 5606 मत पड़े हैं.


क्या होता है नोटा (NOTA)?


बता दें कि सभी चुनाव में नोटा यानी नन ऑफ द एबव (उपरोक्त में किसी को नहीं) का विकल्प दिया जाता है. अगर किसी को कोई प्रत्याशी पसंद नहीं आता है, तो वे नोटा के पक्ष में अपना मत करता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ‘नोटा’ के बटन को सितंबर 2013 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में शामिल किया गया था.


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