पटना: ओड़िशा ट्रेन हादसे में 275 लोगों की मौत की खबर से लोगों में हड़कंप मच गया है. रेलवे पर लापरवाही के आरोप लगाए जा रहे हैं. यह सवाल भी खड़ा होता है कि इतना बड़ा हादसा कैसे हो गया. क्या रेलवे की ओर से पूरी सतर्कता बरती गई थी? अगर सावधानी बरती गई होती तो क्या इस हादसे बचा जा सकता था? यही सब जानने के लिए पटना जंक्शन पर लोकमान्य तिलक टर्मिनस-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन में एबीपी न्यूज़ की ओर से पड़ताल की गई.


एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में पाया गया कि इस ट्रेन में एंटी कॉलिजन सिस्टम नहीं लगा हुआ है. यह लंबी दूरी की ट्रेन है. यह मुंबई से पटना होते हुए डिब्रूगढ़ जाती है. असिस्टेंट लोको पायलट रवि कुमार ने कहा कि इस ट्रेन में एंटी कॉलिजन सिस्टम नहीं लगा है. यह लगना चाहिए. जरूरी है. 


एंटी कॉलिजन सिस्टम क्या होता है ? कैसे काम करता है?


एंटी कॉलिजन सिस्टम का इस्तेमाल मानवीय भूल से होने वाले रेल हादसों को रोकने के किया जाता है. यह एक तरह का वॉर्निंग सिस्टम है. यह उस स्थिति में काम करता है जब एक ही ट्रैक पर आमने-सामने ट्रेन या कोई अवरोध आ जाता है. इस अलर्ट सिस्टम के कारण रेल हादसों को रोका जा सकता है. पिछले कुछ समय में रेलवे ने तेज गति से चलने वाली ट्रेनों में इस अलर्ट सिस्टम को लगाया है. इस टेक्नोलॉजी के जरिए सिग्‍नल जंप करने अथवा एक पटरी पर दो ट्रेन आने की स्थिति में खुद ही ब्रेक लग जाएगा. 


कोरोमंडल एक्सप्रेस में नहीं था एंटी कॉलिजन सिस्टम


कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई. ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के डिब्बे पर चढ़ गया. टक्कर के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे बुरी तरह छतिग्रस्त हो गए. कुछ डिब्बे बगल के ट्रैक पर भी जा गिरे. उस वक्त दूसरी ओर से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस को गुजरना था. बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के ट्रैक पर कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे गिरे हुए थे. इसकी वजह से बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस इन डिब्बों से टकरा गई. टक्कर के चलते बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के सामान्य श्रेणी के तीन डब्बे पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर पटरी से उतर गए. इन ट्रेनों में एंटी कोलेजन सिस्टम नहीं लगा था. ट्रेन हादसे में 275 लोगों की मौत हो गयी है. 900 से अधिक लोग घायल हैं. 


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