सरकार की आंखों में धूल झोंक रहे अधिकारी, एक ही रेजिस्ट्रेशन नंबर पर दो एंबुलेंस का करा रहे परिचालन
एंबुलेंस परिचालन से जुड़े पदाधिकारी ठप पड़े एंबुलेंस को भी कागजों पर चलता हुआ दिखा कर सरकार को चूना लगा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि बिना नंबर की गाड़ियों का किस आधार पर गैरेज से बिल बनवाया जा रहा है? इस पूरे मामले में कौन-कौन शामिल है?
बेतिया: कोरोना काल में एंबुलेंस की अहमियत कितनी बढ़ गयी है, ये समझाने की जरूरत नहीं है. लेकिन मरीजों को अस्पताल पहुंचाने वाले एंबुलेंस के जरिए कुछ जगह सरकारी राशि का बंदरबांट किया जा रहा है. ताजा मामला बिहार बेतिया का है, जहां एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर पर दो-दो एंबुलेंस के परिचालन की बात सामने आई है. आमतौर पर एक नंबर पर दो बसों या ट्रकों के परिचालन की बात सामने आती है. लेकिन एक नंबर पर दो सरकारी एंबुलेंस का परिचालन होना चौंकाने वाली बात है.
क्या है पूरा मामला?
पश्चिम चंपारण के सबसे बड़े अस्पताल जीएमसीएच के में एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर पर दो सरकारी एंबुलेंस का परिचालन किया जा रहा है. एक तरफ बीआर-01पीएफ-0915 नंबर की गाड़ी बरवत स्थित गैरेज में खड़ी है, जहां उसके इंजन पंप का कार्य किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ बीआर-01पीएफ-0945 नंबर की एंबुलेंस के नंबर से छेड़छाड़ कर उसे बीआर-01पीएफ-0915 बनाकर चलाया जा रहा है. जो जीएमसीएच परिसर में खड़ी है.
वहीं, एंबुलेंस परिचालन से जुड़े पदाधिकारी ठप पड़े एंबुलेंस को भी कागजों पर चलता हुआ दिखा कर सरकार को चूना लगा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि बिना नंबर की गाड़ियों का किस आधार पर गैरेज से बिल बनवाया जा रहा है? इस पूरे मामले में कौन-कौन शामिल है?
कार्यलय में पड़े-पड़े धूल फांक रहे एम्बुलेंस
बता दें कि वर्तमान में जिले में एडवांस लाईफ स्पोर्ट वाली दो एंबुलेंस ऑन रोड हैं. जबकि बेसिक लाईफ स्पोर्ट वाली 34 एंबुलेंस ऑन रोड हैं. वहीं, विभाग कोरोना काल संविदा पर 10 एंबुलेंस चलवा रही हैं. जबकि जिले में 22 नीजि एंबुलेंस चल रहें हैं. वहीं, एक मात्र शव वाहन संचालित किया जा रहा हैं. इसके अतिरिक्त कई ऐसे एंबुलेंस हैं, जो या तो गराज में लगे हैं या किसी कार्यलय में पड़े-पड़े धूल फांक रहे हैं.
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