सुपौल: कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन को लेकर जिस तरह से हाहाकार मचा था, उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा भारत को ऑक्सीजन पावर राष्ट्र बनाने के प्रयास में कई अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की शुरुआत की गई थी. बिहार में भी कई अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं, ताकि मरीजों को सहूलियत हो. लेकिन कई जगह ऑक्सीजन प्लांट अभी तक फंक्शनल नहीं हुए हैं. ताजा मामला प्रदेश के सुपौल जिले के सदर अस्पताल का है, जहां ऑक्सीजन प्लांट लगाया तो गया है, लेकिन महीनों बाद भी ये शुरू नहीं हो पाया है. महीनों पहले लाखों की लागत से लगाई गई, मशीन अब जंग खा रही हैं.


वेंटिलेटर भी पड़े-पड़े खा रहे जंग


बता दें कि अस्पताल में केवल ऑक्सीजन प्लांट ही अनदेखी का दंश नहीं झेल रहा. कोरोना संक्रमण के पहले वेब के दौरान केंद्र सरकार द्वारा सदर अस्पताल को दिए गए छह वेंटिलर मशीन भी डॉक्टर और टेक्नीशियन के अभाव में अभी तक जंग खा रहे हैं. लिहाजा, ऑमिक्रॉन की आहट के बीच स्वास्थ्य महकमे की इस लापरवाही ने जिले के लोगों की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, कोरना के पहले और दूसरे वेब के दौरान सुपौल के मरीजों को दरभंगा और पटना के अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ा था, जिस कारण कई मरीजों की जान चली गई थी. ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना से पहले भी ऐसी लापरवाही से लोग सहमे हुए हैं. 


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हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल प्रबंधक का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार है. सारा काम स्टेट की निगरानी में हो रहा है. जैसे ही पाइप लाइन लगाने का काम पूर्ण होगा, ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी. लेकिन सवाल उठता है कि अब तक काम पूरा क्यों नहीं हो पाया है? अगर फिर से मरीजों की संख्या बढ़ती है तो अस्पताल ने विकल्प के तौर पर क्या तैयारी कर रखी है?


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