बक्सर: लोक संस्कृति और आस्था पर आधारित बक्सर का सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला लिट्टी चोखा खाने के साथ संपन्न हो गया है. 5 दिसंबर से प्रारंभ हुए इस मेले की शुरुआत बक्सर के अहिरौली से होती है, जिसके बारे में पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम ने यहीं पर अहिल्या का उद्धार किया था. इसके पश्चात नादांव (नारद मुनि का आश्रम) फिर भभुअर (भार्गव मुनि का आश्रम) तब नुआंव (उदालक मुनि का आश्रम) और अंत मे चरित्रवन (महर्षी विश्वामित्र का आश्रम) जहां क्रमश: पुआ पकवान, सत्तू मूली, चूड़ा दही, खिचड़ी और चरित्रवन में लिट्टी चोखा खाये थे.


तभी से परंपरा बन गई और हर साल बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से लाखों श्रद्धालु यहां पर आते हैं और 5 दिन तक चलने वाले इस परिक्रमा मेला में भाग लेते हैं. इस मेले के प्रत्येक तीर्थ स्थान का अपना खास महत्व है.


मेले का अंतिम पड़ाव बक्सर का चरित्रवन होता है


अहिरौली जहां से इस पांच दिवसीय मेले की शुरुआत होती है, वहीं बक्सर में आकर लिट्टी-चोखा के साथ सम्पन्न हो जाती है. मेले का अंतिम पड़ाव बक्सर का चरित्रवन होता है, पूरे चरित्रवन इलाके में चाहे वो जिला अतिथि गृह हो या किला का मैदान या फिर यूं कहे कि इस दिन पूरा बक्सर लिट्टी-चोखा मय हो जाता है, और श्रद्धालु इस लाजवाब व्यंजन का लुत्फ उठाते हैं.


वहीं बक्सर पहुंचे केंद्रीय परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे भी इस पंचकोशी लिट्टी चोखा यात्रा में शामिल हुए और लिट्टी चोखा व्यंजन का उन्होंने मांग कर लुफ्त भी उठाया. साथ ही कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर तीर्थाटन का केंद्र बिंदु बक्सर बने, राम की कर्मभूमि सिद्धाश्रम की यह भूमि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बक्सर को पहचान दिलाया जाएगा. इस शहर को रामायण सर्किट से पहले ही शामिल कर लिया गया है. राक्षसों का वध करते हुए भगवान श्री राम जिनके हाथ में धनुष बाण होगा, इस परिकल्पना के साथ विश्व की सबसे श्रेष्ठतम मूर्ति मां गंगा के सामने स्थापित की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने दूसरा संकल्प लिया कि यहां पर विशाल यज्ञ मंडप का निर्माण होगा, 24 घंटे हवन एवं अग्नि प्रज्वलित होती रहेगी, भगवान राम के बाल्यकाल से लेकर उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं की झांकी में पिरो कर दुनिया का कलात्मक म्यूजियम तैयार किया जाएगा.


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