Pappu Yadav News: लोकसभा चुनाव खत्म हो चुका है. 4 मई को चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 30 सीटों पर एनडीए गठबंधन ने जीत दर्ज की है तो 9 सीटों पर 'इंडिया' गठबंधन ने जीत हासिल किया है, लेकिन बिहार की सबसे ज्यादा हॉट सीट से अपने दम पर राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की. पप्पू यादव की जीत को ऐतिहासिक जीत भी कहा जा सकता है. हालांकि पूर्णिया लोकसभा सीट से पप्पू यादव पहले भी तीन बार निर्दलीय सांसद के रूप में चुने गए हैं, लेकिन इस बार की जीत पप्पू की विरोधियों के लिए एक बड़ी सबक है.


बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पप्पू यादव अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जेडीयू से लगातार दो बार सांसद रहे संतोष कुशवाहा से 23,847 मतों से चुनाव जीते हैं. पप्पू यादव को कुल 5,67,556 मत प्राप्त हुए तो वहीं, जेडीयू के प्रत्याशी संतोष कुमार कुशवाहा को 5,43,709 मत प्राप्त हुए. सबसे बड़ी बात यह रही कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के प्रतिष्ठा बनी पूर्णिया लोकसभा सीट पर आरजेडी प्रत्याशी बीमा भारती को मात्र 27,120 मत ही प्राप्त हुए हैं. बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं. तेजस्वी यादव ने इस सीट पर अपनी प्रत्याशी बीमा भारती को जीताने और पप्पू यादव को हराने के लिए जमकर मेहनत की थी. 


पूर्णिया में जीत को लेकर आरजेडी ने झोंकी थी पूरी ताकत


तेजस्वी यादव तीन दिनों तक लगातार पूर्णिया में कैंप करते रहे. अपनी चुनावी भाषण में मुख्य प्रतिद्वंद्वी संतोष कुशवाहा पर ना बोलकर वो सीधे पप्पू यादव पर ही प्रहार करते रहे. तेजस्वी यादव ने इतना तक कह दिया था कि अगर आप 'इंडिया' गठबंधन की प्रत्याशी बीमा भारती को वोट नहीं देते हैं तो एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी को आप विजयी बनाइए. किसी तीसरे को वोट नहीं दीजिए. तेजस्वी यादव के इस बयान से पप्पू यादव को फायदा पहुंच गया.


पप्पू यादव पूर्णिया से लड़ने के लिए बना चुके थे मूड 


पप्पू यादव इस बार हर हाल में पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने 6 महीना पहले से पूरी तैयारी में जुटे थे. प्रणाम पूर्णिया का अभियान चलाया. जिसमें हर पंचायत और हर गांव का उन्होंने दौरा किया था. कई रैलियां और कई सभा कीं. उन्होंने ऐलान किया था कि हम महागठबंधन से चुनाव लड़ेंगे इसके लिए उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी को कांग्रेस में विलय कर लिया और कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करके टिकट लेने की फिराक में थे. इसके लिए उन्होंने लालू यादव से जाकर आशीर्वाद भी लिया, लेकिन तेजस्वी यादव जिद्द पर अड़े रहे और पूर्णिया सीट के आरजेडी के लिए ले लिए.


पप्पू यादव को जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया, लेकिन पूर्णिया छोड़ने के लिए वह राजी नहीं हुए. पूर्णिया से चुनाव लड़ने की उनकी जिद्द थी और अंत में उन्होंने तेजस्वी यादव सहित आरजेडी के सभी नेताओं के पसीने छुड़ाते हुए जीत दर्ज कर लिया.


1990 में पहली बार बने थे विधायक


हालांकि पूर्णिया सीट पर निर्दलीय चुनाव जीतने का पप्पू यादव का यह पहला मौका नहीं है. पप्पू यादव राजनीति में आने के बाद पहली बार 23 वर्ष की उम्र में 1990 में विधायक बने. इसके बाद पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे. पहली बार 1991 में पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत हासिल की. इसके बाद 1996 और 1999 में भी वह पूर्णिया से ही निर्दलीय सांसद बने. 2004 में लालू प्रसाद यादव ने उन्हें मधेपुरा से आरजेडी का टिकट दिया और वह चौथी बार जीते. 


2008 में उन पर हत्या का आरोप साबित हो गया तो पप्पू यादव की सदस्यता रद्द हो गई. 2013 में पटना हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद पप्पू यादव 2014 में आरजेडी के टिकट से मधेपुरा से चुनाव लड़े और पांचवीं बार जीते, लेकिन 2015 में तेजस्वी यादव की बयानबाजी के बाद वह खफा हो गए और आरजेडी से दूरी बनाकर अपनी 'जन अधिकार पार्टी' बनाई. 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. 


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