Pashupati Kumar Paras: NDA में सम्मान नहीं मिलने पर पशुपति पारस का छलका दर्द, साथ रहने की बताई वजह
Pashupati Paras News: 2024 के चुनाव में चिराग पासवान और पशुपति पारस में सीटों की मांग को लेकर संघर्ष देखने को मिला. इसको लेकर पशुपति पारस ने रविवार को एक बार फिर बयान दिया.
Pashupati Kumar Paras: लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भतीजे चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस के बीच घमासान छिड़ गया था. एनडीए में दोनों ने बड़ी हिस्सादारी की मांग कर रहे थे. हांलाकि एनडीए में चिराग पासवान को तवज्जो दी गई. वहीं, इस पूरे प्रकरण पर रविवार को मीडिया से बात करते हुए पशुपति पारस का दर्द सामने आ गया. उन्होंने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के लोगों ने हमारी पार्टी को उचित सम्मान नहीं दिया. इसके बाद भी व्यक्तिगत लाभ त्याग कर राष्ट्र हित में पीएम मोदी का हमने साथ दिया.
पशुपति पारस ने की पीएम मोदी की तारीफ
पशुपति पारस ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए को समर्थन देने के मुद्दे पर हमने पार्टी की सभी नेताओं के साथ बैठक की थी. इस बैठक में व्यक्तिगत हित को छोड़ कर, पार्टी के हित को छोड़ कर राष्ट्रहित में पीएम मोदी को समर्थन देने का फैसला हुआ. पूरे देश की पुकार है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश चल रहा है और आगे भी चले.
आज की तारीख में पीएम नरेंद्र मोदी देश में ही नहीं विदेशों में भी पूरे वर्ल्ड में सर्वमान्य नेता के रूप में माने जाते हैं. सबसे लोकप्रिय के नेता के रूप में माने जाते हैं इसलिए व्यक्तिगत हित और पार्टी हित को माइनस करके हम लोगों ने फैसला लिया कि एनडीए गठबंधन के साथ हम रहेंगे और पूरी ईमानदारी के साथ आगे भी रहेंगे.
VIDEO | "We were completely ignored and didn't get the desired respect by our NDA partners during the Lok Sabha elections. Despite this, we decided to stay with the NDA and PM Modi," says Rashtriya Lok Janshakti Party president Pashupati Kumar Paras (@PashupatiParas).
— Press Trust of India (@PTI_News) September 29, 2024
(Full… pic.twitter.com/mVAFVnb2Fo
चाचा-भतीजे चली थी तनातनी
बता दें कि लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सीट को लेकर एनडीए में खूब तनातनी देखने को मिली थी. चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं थे, लेकिन एनडीए में यह सीट चिराग पासवान के पाले में चली गई. इससे पशुपति पारस एनडीए में नाराज हो गए और केंद्रीय मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे दिए. अकेले लड़ने की उन्होंने घोषणा कर दी थी. हालांकि बीजेपी नेताओं के मान मनौव्वल के बाद वो नाराजगी को छोड़ दिए और अकेले चुनाव नहीं लड़े. वहीं. इस चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी आर को पांच सीट और पशुपति पारस की पार्टी एलजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी.
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