Pashupati Paras: महागठबंधन में पशुपति पारस की नहीं बनी बात, जानें अब उनके पास क्या बचे हैं विकल्प?
Hajipur Lok Sabha Seat: हाजीपुर सीट को लेकर चाचा पशुपति और भतीजे चिराग के बीच खूब बयानबाजी हुई. इस कलह में चिराग को सफलता मिली, लेकिन पशुपति पारस को कोई ठिकाना नहीं मिला.
Pashupati Paras: महागठबंधन ने आज (29 मार्च) बिहार के सीट बंटवारे का ऐलान कर दिया. इसमें पांच दलों को जगह मिली है, लेकिन पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति को कोई सीट नहीं मिली है. इससे स्पष्ट हो गया कि पशुपति पारस की आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से बात नहीं बनी. एनडीए से नाराजगी के बाद पशुपति पारस को लेकर चर्चा थी कि वो महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं और आरजेडी उन्हें एडजस्ट करेगी, लेकिन सबकुछ स्पष्ट हो गया है. अब सवाल उठ रहा है कि पशुपति पारस के पास अभी क्या-क्या विकल्प बचे हैं?
पशुपति पारस के ये हो सकते हैं अगले कदम
- पशुपति पारस हाजीपुर सीट से अब बिना किसी गठबंधन के अकेले अपनी पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं.
- लालू यादव से आरजेडी की सीटों में कहीं एडजस्ट करने की बात कर सकते हैं.
- बीजेपी से एक बार फिर बात करने की कोशिश कर सकते हैं और पुराने ऑफर पर चर्चा कर सकते हैं.
- इसके अलावा अभी इंतजार कर सकते हैं और सही समय आने पर कुछ बड़ा फैसला ले सकते हैं.
भतीजे चिराग से अलग हो गए थे चाचा पशुपति
बता दें कि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में लोजपा छह सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सभी सीटों पर उसके प्रत्याशी को जीत मिली थी. लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो धड़ों में बंट गई. एक धड़े का नेतृत्व पशुपति पारस करने लगे तो दूसरा धड़े का नेतृत्व चिराग पासवान के हाथों में चला गया.
लोकसभा चुनाव 2024 के सीट बंटवारे में चिराग पासवान वाली लोजपा को पांच सीटें मिल गई, लेकिन पशुपति पारस को एक सीट भी नहीं मिली. हाजीपुर सीट को लेकर बात बिगड़ गई थी. इसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. भतीजे चिराग पासवान से मिली सियासत में मात के बाद पशुपति का राजनीतिक भविष्य वर्तमान में अधर में है. माना जा रहा था कि पारस महागठबंधन से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन इस गठबंधन में भी उन्हें स्थान नहीं मिला.
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