पटना: बिहार की राजनीति में कुछ भी संभव है. कब कौन किसकी पार्टी छोड़ कर विरोधी से हाथ मिला ले, कुछ नहीं कह सकते. उधर, राजनीति में चाचा और भतीजे चिगार पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति पारस के बीच की दरारें जगजाहिर है. शनिवार को ही केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने सांसद चिराग पासवान को बड़ा झटका दिया है. आरएलजेपी की प्रवक्ता देवजानी मित्रा को पशुपति पारस ने अपनी पार्टी में शामिल करवाया है और उनको राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी है. इसके साथ ही भतीजे पर हमला बोलते हुए कहा कि वो खुद कहीं के नहीं हो पा रहे.


‘चिराग के लिए उनकी पार्टी में कोई जगह नहीं’


पशुपति पारस बोले कि चिराग न तो एनडीए में जा पा रहे और न ही महागठबंधन की ओर हाथ बढ़ा रहे. वो सही चुनाव नहीं कर पा रहे हैं. रविवार को प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने ये बातें बोलीं. उन्होंने कहा कि चिराग के लिए उनकी पार्टी में कोई जगह नहीं है. वह तो अपने पिता की उस बात को भी नहीं समझ सके जिसमें वह कहते थे कि रोड पर वही जानवर मरता है जो यह निर्णय नहीं लेता है कि इधर जाएं या उधर जाएं. अब चिराग की मोटा-मोटी स्थिति भी वही है. वो एनडीए के साथ भी जाएं तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन चिराग तो निर्णय ही नहीं ले पा रहे कि इधर जाएं या उधर जाएं. 


दिवंगत भाई को किया याद


चिराग पर हमला बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि "व्यक्ति नहीं, समय बलवान होता है. किनका घर टूटेगा और किनका बचेगा, यह समय बता देगा. चिराग को यही अंदाजा नहीं कि उन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव में जो वोट मिले, वह इसलिए कि हमने विरोध नहीं किया और बड़े भाई के निधन से मिली सहानुभूति उनके खाते में चली गई. इसके बाद वह अपनी हालत देख लें. जनता उनकी कितनी बात सुन रही ये हाजीपुर में आरजेडी के लिए एमएलसी चुनाव में वोट मांगने के दौरान पता चल गया कि लोगों ने उनकी एक भी नहीं सुनी.


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