पटना का गांधी मैदान कई इतिहासों का गवाह है. इस मैदान पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरु, मोहम्मद अली जिन्ना, राम मनोहर लोहिया समेत कई दिग्गज नेताओं ने यहां पर भाषण दिया. गांधी मैदान बिहार की विरासत और संस्कृति को दर्शाती है.
गांधी मैदान को पहले बांकीपुर मैदान के नाम से जाना जाता था. अंग्रेज यहां अक्सर घूमने आते थे. वर्तमान में यह मैदान जनसभाओं, सम्मेलन और राजनीतिक रैलियों के अलावा यहां पुस्तक मेला लगता है.
1948 से पहले बांकीपुर मैदान के नाम से जाना जाता था
गांधी मैदान के चारों ओर सरकारी इमारतें, प्रशासनिक केंद्र और चर्च है. साल 2013 मे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा यहां महात्मा गांधी की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित करवाई गई.
साल 1948 से पहले इसे बांकीपुर मैदान या पटना लॉन कहा जाता था. महात्मा गांधी की हत्या के बाद इसका नाम बदलकर गांधी मैदान रख दिया गया.
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक इस मैदान का नाम बदलने का अनुरोध मुजफ्फरपुर जिले के एक शिक्षक ने अधिकारियों को पत्र भेजकर महात्मा गांधी के नाम पर रखने का सुझाव दिया था.
महात्मा गांधी और जिन्ना ने की थी विशाल जनसभा
महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह शुरु करने के बाद इसी मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित किया था. वहीं साल 1938 में तत्कालीन मुस्लिम लीग के प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस के खिलाफ इसी मैदान में भाषण दिया था. साल 1939 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी नई पार्टी ऑरवरड ब्लॉक की पहली ऐतिहासिक रैली यहीं की थी. स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरु, जेबी कृपलानी, राम मनोहर लोहिया, अटल विहार वाजपेयी समेत कई नेताओं ने गांधी मैदान में भाषण दिया है. जयप्रकाश नारायण 5 जून साल 1974 को इसी मैदान से संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रैली में हुआ था बम ब्लास्ट
बीजेपी द्वारा प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित होने के बाद नरेंद्र मोदी ने गांधी मैदान में विशाल जनसभा की थी. इस दौरान यहां एक के बाद एक करके 6 बम धमाके हुए जिसमें सात लोगों की जान चली गई थी. इस मामले में एनआईए कोर्ट ने दस अभियुक्तों में से 9 को दोषी पाया. एक अभियुक्त को शंका के आधार पर छोड़ा गया.
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