पटना: नगर निकाय चुनाव में अतिपिछड़ा आरक्षण पर लगी रोक के खिलाफ बिहार सरकार ने पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) में रिव्यू पेटिशन दायर किया था. रिव्यू पेटिशन पर आज पटना हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. कोर्ट का क्या फैसला आता है इस पर सबकी नजरें टिकी हैं क्योंकि लगातार महागठबंधन सरकार बीजेपी के निशाने पर है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाने की बात कही थी, लेकिन उसने पुनर्विचार याचिका दायर की है.


10 और 20 अक्टूबर को चुनाव होना था जिसको स्थगित कर दिया गया है. पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया था. निकाय चुनाव में अति पिछड़ा आरक्षण को पटना हाईकोर्ट ने गलत करार दिया था. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया था कि दूसरी डेट बाद में जारी की जाएगी. पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि अति पिछड़ा वर्ग के लिए 20 प्रतिशत आरक्षित सीटों को जनरल कर नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करें.


2010 में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था मानक


पटना हाई कोर्ट ने माना था कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत बगैर ट्रिपल टेस्ट के अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया. 2021 दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी जब तक राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा नहीं कर लेती है. 2010 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मानक तय किया गया था.


ट्रिपल टेस्ट के तहत किसी राज्य में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए आयोग की स्थापना की जानी चाहिए. इसके बाद आयोग की सिफारिशों के मुताबिक आरक्षण का अनुपात तय करना जरूरी है. साथ ही किसी भी मामले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में कुल आरक्षित सीटों का प्रतिशत 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए.


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