पटना: पटना हाई कोर्ट ने सेनारी नरसंहार पर शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है. निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने इस नरसंहार के 13 दोषियों को तुरंत रिहा करने के लिए कहा है. कि 18 मार्च 1999 में यह नरसंहार हुआ था, जिसमें 34 लोगों की हत्या हुई थी.


निचली अदालत ने 10 लोगों को फांसी और तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. 15 नवंबर 2016 को जहानाबाद जिला अदालत ने फैसला सुनाया था. हाई कोर्ट के जज अश्विनी कुमार सिंह व अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया है. निचली अदालत के फैसले की पुष्टि के लिए पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस दायर किया गया. वहीं दोषी द्वारिका पासवान, मुंगेश्वर यादव, बचेश कुमार सिंह और अन्य की ओर से क्रिमिनल अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी.


क्या था सेनारी नरसंहार?


गौरतलब हो कि 18 मार्च 1999 की रात बिहार के जहानाबाद के सेनारी गांव में 34 लोगों को बांधकर उनका गला रेत दिया गया था. इस कांड में प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर को शामिल माना गया था. एमसीसी के सैकड़ों लोगों ने 18 मार्च 1999 की रात सेनारी गांव की घेराबंदी कर एक जाति विशेष के पुरुषों को घर से निकाला था. घर से निकालने के बाद उन्हें गांव में एक मंदिर के पास ले जाकर हाथ-पैर बांधकर और गला रेतकर हत्या कर दी थी.


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