पटना: बिहार में जातीय गणना को लेकर शुरू से ही बवाल मचा है. इसका दूसरा चरण 15 अप्रैल को ही शुरू हुआ है. 15 मई तक इसे पूरा किया जाना है. मंगलवार (18 अप्रैल) को इस मामले में पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने बिहार में जाति आधारित गणना के दूसरे चरण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन व न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की.


दरअसल, इस संबंध में राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की सात मार्च 2023 को जारी अधिसूचना रद्द करने के लिए लगभग आधा दर्जन याचिकाएं पटना हाई कोर्ट में दायर की गई हैं. राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि दायर अर्जी में आकस्मिक निधि से 500 करोड़ निकालने का आरोप लगाया गया है, जो निराधार है.


सभी मामलों पर सुनवाई की तारीख चार मई तय


इससे पहले आवेदक की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह सहित हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय सिंह, दीनू कुमार, रीतिका रानी, धनंजय कुमार तिवारी, एमपी दीक्षित सहित कई वकीलों ने अपनी-अपनी याचिका पर पक्ष रखना चाहा, लेकिन कोर्ट ने सभी मामलों पर चार मई को सुनवाई करने का आदेश दिया. कई वकीलों ने जाति आधारित गणना पर रोक लगाने का अनुरोध कोर्ट से किया. कोर्ट ने कहा कि इस केस में किसी तरह का अंतरिम आदेश नहीं दिया जाएगा.


'गोपनीयता के अधिकार में दखल दे रही सरकार'


इधर, एडवोकेट अपराजिता सिंह ने कहा कि सरकार नागरिकों की गोपनीयता के अधिकार में दखल दे रही है. कोई नागरिक जाति का खुलासा नहीं करना चाहता है तो भी उसकी जाति की जानकारी सभी को हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है.


यह भी पढ़ें- Atiq Ahmed Shot Dead: 'UP सरकार के लिए बेहतर यह होता कि...', अतीक अहमद की हत्या मामले पर PK का बड़ा बयान