Patna News: 'तलाक कोई निजी मामला नहीं…', पटना HC ने खारिज कर दी पति की अर्जी, शादी को हो चुके 43 साल
Patna High Court: इस केस में खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का हवाला भी दिया है. शुक्रवार को कोर्ट की ओर से अर्जी खारिज की गई. पत्नी के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिला.
पटना: तलाक कोई निजी मामला नहीं है क्योंकि शादी में समाज का भी हित होता है. शुक्रवार (25 अगस्त) को पटना हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए एक पति की तलाक अर्जी को खारिज कर दिया. 1980 में शख्स की शादी हुई थी. पति ने पत्नी पर कथित क्रूरता और अन्य आरोप लगाते हुए तलाक के लिए अर्जी लगाई थी. इस पर पटना हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. दो बार पहले भी तलाक की अर्जी खारिज हो चुकी है.
कोर्ट ने 47 पन्नों के फैसले में क्या कहा?
अपने 47 पन्नों के फैसले में न्यायमूर्ति पीबी बजंतरी और न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने कहा कि उसे वैवाहिक जीवन में "सामान्य नोकझोंक" के अलावा पत्नी द्वारा अपने पति पर मानसिक या शारीरिक क्रूरता का कोई साक्ष्य नहीं मिला. अपीलकर्ता (पति) कुछ साबित भी नहीं कर सका.
25 वर्षों से सहमति से अलग रह रहे पति-पत्नी
महिला सरकारी अस्पताल में नर्स है. करीब 25 वर्षों से अपनी सहमति से दोनों अलग रह रहे हैं. पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाते हुए पति ने 2000 में भी तलाक के लिए अर्जी दी थी, लेकिन अदालत में वह उपस्थित न हो सका जिसके चलते याचिका खारिज कर दी गई. इसके बाद महिला के पति ने 2012 में भी अर्जी लगाई जिसको पारिवारिक अदालत (फैमिली कोर्ट) में खारिज कर दिया गया.
17 साल तक सब कुछ रहा ठीक
बताया गया कि पति ने 1980 में शादी की थी. शादी के बाद 1985 में एक बेटा हुआ और फिर 1987 में एक बेटी हुई. शादी के बाद 17 साल से अधिक समय तक सब कुछ ठीक था. इसके बाद धीरे-धीरे रिश्ते में खटास आने लगी. इसके बाद पति ने तलाक की अर्जी लगाई. अब निचली अदालत से लेकर पटना हाई कोर्ट ने इस अर्ज को खारिज कर दिया. इस केस में खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का हवाला भी दिया है.
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