Bihar News: PM मोदी की सभा में बम ब्लास्ट करने वाले दोषियों को उम्र कैद, पटना HC का फैसला
Gandhi Maidan Bomb Blast: सीरियल ब्लास्ट का ये मामला 27 अक्टूबर 2013 का है, जब गांधी मैदान पटना में नरेंद्र मोदी एक जनसभा को संबोधित करने आए थे. तभी ये सीरियल ब्लास्ट हुआ था.
Patna High Court Verdict: पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की सभा में बम ब्लास्ट करने वाले सभी चार दोषियों की सजा को पटना हाई कोर्ट ने उम्र कैद में तब्दील की है. इन चार दोषियों को निचली अदालत से फांसी की सजा सुनाई गई थी. बुधवार (11 सितंबर) को कोर्ट ने इस पर अपना अहम फैसला सुनाया. इस मामले में चार दोषियों की फांसी की सजा को अब 30 साल कैद में बदल दिया है, जबकि आजीवन कारावास की सजा पाए दो लोगों की सजा बरकरार रखी है. सीरियल ब्लास्ट का ये मामला 27 अक्टूबर 2013 का है, जब गांधी मैदान पटना में नरेंद्र मोदी हुंकार रैली में एक जनसभा को संबोधित करने आए थे.
निचली अदालत के फैसले को दी गई थी चुनौती
दरअसल आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस संबंध में पटना के गांधी मैदान थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. इसके बाद 31 अक्टूबर 2013 को एनआईए ने केस अपने हाथ में ले लिया था. कोर्ट ने बुधवार को दोषी इम्तियाज आलम, हैदर अली, नुमान अंसारी और मोजिबुल्ला अंसारी की फांसी की सजा में बदलाव कर दिया. जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया.
बता दें कि 2013 में जब ये घटना हुई थी उस समय गांधी मैदान में बीजेपी की हुंकार रैली का आयोजन था. उसी दौरान पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 10 पर स्थित सुलभ शौचालय के पास पहला बम धमाका हुआ, इसके बाद गांधी मैदान और उसके आस-पास छह जगहों पर सीरियल बम धमाके हुए. धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई और 89 लोग घायल हो गए. इस घटना के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से एनआईए जांच की मांग की थी.
2014 में एनआईए ने दाखिल की थी चार्जशीट
एनआईए ने इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ 2014 में चार्जशीट दाखिल की थी. मामले में 187 लोगों की कोर्ट में गवाही कराई गई थी, उसके बाद पटना की नीचली अदालत ने चार लोगों इम्तियाज आलम, हैदर अली, नुमान अंसारी और मोजिबुल्ला अंसारी को दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी, इस सजा के बाद सभी दोषी पटना हाईकोर्ट पहुंचे थे और फांसी की सजा को चुनौती दी थी, जिसमें अब पटना हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
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