बिहार में इफ्तार पर सियासत के बीच JDU प्रदेश अध्यक्ष का बड़ा बयान, 'मुसलमान जानते हैं कि नीतीश कुमार…'
Bihar Politics: इफ्तार पार्टी पर मुस्लिम संगठन के फैसले से नीतीश कुमार को बड़ा झटका लग सकता है. जेडीयू नेता उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि हमारी पार्टी कभी वोट की राजनीति नहीं करती.

Bihar News: जेडीयू के वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करने के कारण मुस्लिम संगठनों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बायकॉट किया है. मुस्लिम संगठनों के फैसले पर अब बिहार के जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने बयान दिया. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लोग जानते हैं कि नीतीश कुमार से बड़ा उनका हितैषी कोई नहीं है.
जनता दल यूनाइटेड की बिहार इकाई के अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मुस्लिम समाज के लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना नेता मानते हैं और बिहार की जनता तथा मुस्लिम समाज को लोग भी जानते हैं कि उनका हितैषी कौन है. आज इफ्तार पार्टी रखी गई है, जिसमें बढ़चढ़कर हिस्सा लेंगे. मैं बता देता हूं कि हमारे नेता बिहार की तरक्की और यहां की 14 करोड़ जनता के लिए दिन-रात काम करते रहते हैं.
‘हमारी पार्टी वोट की राजनीति नहीं करती’
उमेश सिंह कुशवाहा ने आगे कहा कि हमारी पार्टी को सभी समाज और सभी वर्गों के लोगों का वोट मिलता है. हमारी पार्टी कभी वोट की राजनीति नहीं करती है, बल्कि हम बिहार को नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं. साथ ही बिहार की गरीब जनता को मुख्य धारा से जोड़कर आगे बढ़ाने का काम किया जाता है. मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद और इमारत ए शरिया ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर एनडीए के सहयोगी दलों की इफ्तार पार्टी में नहीं जाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा है कि वह एनडीए के सहयोगी नीतीश कुमार, एन चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान के वक्फ (संशोधन) विधेयक पर रुख को देखते हुए इफ्तार, ईद मिलन और दूसरे कार्यक्रमों का बहिष्कार करेंगे.
मुस्लिम संगठन के फैसले से नीतीश को बड़ा झटका
बता दें कि बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले बिहार में इफ्तार पार्टी का सिलसिला जारी है. हालांकि, मुस्लिम संगठन के फैसले से नीतीश कुमार को बड़ा झटका लग सकता है. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को संसद के आगामी सत्र में पारित कराने की तैयारी में है. इसे लेकर मुस्लिम समाज में गहरी चिंता व्याप्त है. बोर्ड का मानना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय की वक्फ संपत्तियों, मस्जिदों, कब्रिस्तानों, दरगाहों, मठों और मदरसों पर कब्जा करने और उन्हें नष्ट करने के इरादे से लाया गया है. इसलिए इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए.
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