पटना मेट्रो हादसा: ब्रेक फेल और 2 जिंदगियां खत्म... जांच के लिए टीम बनी, पढ़िए अब तक के अपडेट
Patna Metro News: हादसे पर मेट्रो प्रशासन अपने स्तर पर जांच कर रहा है और पटना जिला प्रशासन की ओर से भी मामले की जांच कराई जा रही है. रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी.
Patan Metro Accident Update: पटना मेट्रो हादसे में दो लोगों की मौत मामले में जांच शुरू हो गई है. पीरबहोर थाना क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्य के दौरान बीते सोमवार की रात हादसा हुआ था. हादसे के पीछे वजह बताई गई है कि एक क्रेन का ब्रेक फेल हो गया जिसके चलते दो लोगों की मौत हो गई. छह अन्य लोग घायल हुए हैं.
जांच रिपोर्ट के बाद की जाएगी कार्रवाई: एसएसपी
पुलिस उप महानिरीक्षक एवं पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजीव मिश्रा ने मंगलवार को बताया कि इस संबंध में मेट्रो प्रशासन अपने स्तर पर जांच कर रहा है और पटना जिला प्रशासन की ओर से भी मामले की जांच कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
पटना के डीएम ने क्या कहा?
इस हादसे पर जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि पटना मेट्रो रेल निगम से प्राप्त सूचना के अनुसार सोमवार रात लगभग 10 बजे पटना विश्वविद्यालय और पीएमसीएच के बीच मेट्रो सुरंग में एक ‘लोकोमोटर’ वाहन के ब्रेक फेल होने के कारण हुई दुर्घटना में एक चालक और एक श्रमिक की मौत हो गई. ये ओडिशा के रहने वाले थे. उन्होंने बताया कि इस हादसे में घायल छह अन्य लोगें का इलाज मेडिवर्सल अस्पताल में किया जा रहा है. इनमें से एक की व्यक्ति की हालत गंभीर है. आईसीयू में भर्ती कराया गया है. अन्य घायलों की हालत खतरे से बाहर है.
तीन सदस्यीय टीम का किया गया गठन
दुर्घटना के कारणों की जांच करने, उनका पता लगाने और सुरक्षा उपाय लागू करने के लिए सुझाव देने के लिए अधिकारियों की एक तीन सदस्यीय टीम भी गठित की गई है. इस समिति में अपर जिला दंडाधिकारी विधि-व्यवस्था, श्रम अधीक्षक एवं कार्यपालक अभियंता शामिल हैं. अपर जिला दंडाधिकारी और अन्य अधिकारियों को घटनास्थल पर भेजा गया. जिला प्रशासन एवं पटना मेट्रो रेल निगम के अधिकारी घटनास्थल पर डेरा डाले हुए हैं.
इससे पहले पटना मेट्रो रेल निगम के प्रवक्ता ने दावा किया था कि सभी घायलों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. हालांकि, अधिकारी कुछ प्रत्यक्षदर्शियों की ओर से लगाए गए इस आरोप पर चुप्पी साधे रहे जिनमें कहा गया था कि जब काम किया जा रहा था तब सुरंग के अंदर "कोई इंजीनियर या पर्यवेक्षक" नहीं था.
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