पटना: बिहार में होने वाले नगर निकाय चुनाव (Nagar Nikay Chunav) में पिछड़े और अति पिछड़े के आरक्षण को लेकर बुधवार को पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. इस दौरान बिहार सरकार ने रिव्यू पिटिशन को वापस ले लिया. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई हुई है. राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि अति पिछडे़ वर्ग के राजनीतिक पिछडे़पन के लिए एक डेडिकेटेड कमीशन बनाया जाएगा. बिहार सरकार इस कमीशन का गठन करने के लिए तैयार है.


डेडिकेटेड कमीशन रिपोर्ट आने के बाद निकाय चुनाव!


नगर निकाय चुनाव को चार अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया था. उच्च न्यायालय ने उस वक्त भी आदेश दिया था कि बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ट्रिपल टेस्ट कराकर आयोग गठन करे. उसके बाद चुनाव कराएं. चुनाव स्थगित हो जाने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा था. बिहार सरकार के इलेक्शन कमीशन की ओर से वकील संजीव निकेश ने बताया कि सरकार की ओर से उच्च न्यायालय को स्टेटमेंट दिया गया कि हम डेडिकेटेड कमीशन बना रहे हैं. उस स्टेटमेंट को हाईकोर्ट ने एक्सेप्ट किया है. इसे एक्सेप्ट करके कमीशन की ओर से जो रिपोर्ट आएगी उसका ऑब्जरवेशन किया जाएगा. डेडिकेटेड कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर ही चुनाव होगा.


बिहार सरकार ने दी थी कई दलीलें


वहीं याचिकाकर्ता राजीव रंजन ने बताया कि बिहार सरकार की बहुत सारी दलीलें थीं, लेकिन अंत में न्यायालय द्वारा ये आदेश दिया गया कि आप आयोग गठन करके उसका रिपोर्ट इलेक्शन कमीशन को सौंपें. वहीं रिपोर्ट आने के बाद अति पिछड़ा आरक्षण पर विचार किया जा सकता है. इसी फैसले पर बुधवार को सुनवाई हुई है. याचिका कर्ता सुनील कुमार ने कहा कि यह न्याय की जीत है. हम लोग भी यही चाहते थे कि आयोग का गठन हो और उस पर सरकार ने आज न्यायालय में आयोग गठन करने की बात को स्वीकारा है. इससे राजनीतिक रूप से जो पिछड़े हैं उनको फायदा होगा. न्यायालय के आदेश के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है और अब बीजेपी की सरकार पर हमलावर हो गई है.


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