पटना: राजधानी पटना (Patna) का एक स्कूल देखकर दंग रह जाएंगे. शहर से सटे महज 10 किलोमीटर की दूरी पर पटना सदर प्रखंड का फतेहजामपुर प्राथमिक विद्यालय नाले में बना हुआ स्कूल ( Government School) जैसा प्रतीत होता है. स्कूल पूरा नाले की पानी में डूबा हुआ है. स्कूल में पानी हो जाने के कारण पास के समुदाय भवन में स्कूल को शिफ्ट किया गया. समुदाय भवन में पढ़ते हुए बच्चों की स्थिति भी देख कर हैरानी हो रही. वहां बच्चों को एक छोटे से बरामदे में पढ़ाया जा रहा. खाना बनाने वाले रसोइया भी उनकी क्लास ले रहे. मंगलवार को एबीपी की टीम ने इस स्कूल का जायजा लिया. 


छोटे से कमरे में करीब 300 बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर


समुदाय भवन में एक कमरा और एक बरामदा है. उस पर लगभग 250 से 300 बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. भवन के कमरे में भेड़ बकरियों की तरह बैठे बच्चे पढ़ाई कर रहे. मध्यान भोजन के लिए समुदाय भवन के बगल में एक घर में खाना बनाया जाता है. बताया गया कि स्कूल की ओर से किराए पर ये जगह ली गई है. समुदाय भवन के आसपास कचरे का अंबार है. इलाके के लोग पंचायत भवन के पास कचरा फेंकते हैं .स्कूल के तीन बच्चे को डेंगू भी हो गया है. इतना ही नहीं क्लास एक से क्लास पांचवी के बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में चार शिक्षक हैं, लेकिन एक ही शिक्षक पटना सदर कार्यालय में रहते हैं. दो शिक्षक की उपचुनाव में ड्यूटी लगाई गई है. बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक और स्कूल का एक रसोइया है. जो खाना बनाने के साथ-साथ बच्चों को भी पढ़ाता है.


 


छह महीने स्कूल भवन में बच्चे पढ़ते हैं तो छह महीने सामुदायिक भवन में


स्थानीय लोग बताते हैं कि यह हाल पिछले 10 से 12 सालों से है. यहां छह महीने स्कूल भवन में बच्चे पढ़ते हैं तो छह महीने सामुदायिक भवन में पढ़ते. अगस्त महीने से लेकर जनवरी महीने तक स्कूल में पानी रहता है. पानी सूखने के बाद फिर सभी बच्चे स्कूल में चले जाते हैं. कई बार स्थानीय विधायक रामानंद यादव जो अभी महागठबंधन की सरकार में खनन मंत्री हैं उन्हें बोला गया है. उन्होंने तीन बार आकर स्कूल की हालत देखी, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला.




नए शिक्षा मंत्री करते बेहतरी के दावे


वहीं नौ अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई. शिक्षा मंत्रालय जेडीयू के विजय कुमार चौधरी को हटाकर आरजेडी के प्रो.चंद्रशेखर को दिया गया. नए बने शिक्षा मंत्री ने पदभार ग्रहण करने के दूसरे दिन ही कहा कि हमें स्कूलों की स्थिति को सुधारना है. मेरा लक्ष्य है हर बच्चे सरकारी स्कूल में जाएं. गुणवत्तापूर्ण स्कूलों में पढ़ाई हो. साथ ही साथ मैनेजमेंट की भी पढ़ाई कराने का उन्होंने दावा किया, लेकिन इस स्कूल को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के दावे कितना सच है और कितना झूठ है.


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