Patna News: पत्नी के कहने पर कर ली दूसरी शादी, बनने वाला था दारोगा बन गया ऑटो ड्राइवर, जानें पूरा मामला
दूसरी शादी के कुछ दिनों बाद पहली पत्नी ने सुधीर के विभाग में शिकायत कर दी, जिसके बाद विभाग ने बिना तलाक दिए दूसरी शादी करने के आरोप में उन्हें 2014 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया.
Patna News: किस्मत भी क्या-क्या रंग दिखाती है. पुलिस की नौकरी की प्रमोशन पाकर हवलदार बन गए और जल्द ही दारोगा बनने वाले थे. लेकिन किस्मत ने ऐसी करवट बदली कि हवलदार से दारोगा बनने की जगह सीधे ऑटो ड्राइवर बन गए. पटना की सड़कों पर ऑटो रिक्शा पर यात्री बैठाने के लिए गांधी मैदान, बेली रोड, राजा बाजार चिल्लाने वाला यह शख्स कोई आम ऑटो चालक नहीं है, बल्कि तिब्बत पुलिस पद से बर्खास्त हवलदार सुधीर कुमार है. सुधीर कभी सड़कों पर पुलिसिया रौब झाड़ते थे, लेकिन अब वे खुद पुलिस का रौब सहते हैं.
बच्चे की चाहत ने बना दिया ऑटो ड्राइवर
सुधीर कुमार बताते हैं कि उनके साथ काम करने वाले सभी लोग दारोगा हो गए. लेकिन वो ऑटो चला रहे हैं. दरअसल, हवलदार सुधीर कुमार की ऐसी हालात होने की मुख्य वजह है, उनके बच्चे की चाहत. सुधीर कुमार मुख्य रूप से भोजपुर जिला के रहने वाले हैं. 2001 में उनकी तिब्बत पुलिस फोर्स में नौकरी लगी थी. परिवार काफी खुश था. परिवार वालो ने 2006 में सुधीर की शादी करा दी, लेकिन छह साल तक उनका कोई बच्चा नहीं हुआ.
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डॉक्टरों से दिखाने पर पता चला कि उनकी पत्नी कभी मां नहीं बन सकती है. ऐसे में 2012 में सुधीर ने दूसरी शादी कर ली. सुधीर बताते हैं कि पहली पत्नी ने ही उनकी दूसरी शादी करवाई. इस वजह से उन्होंने पहली पत्नी को तलाक नहीं दिया. लेकिन कुछ दिनों बाद पहली पत्नी ने सुधीर के विभाग में शिकायत कर दी, जिसके बाद विभाग ने बिना तलाक दिए दूसरी शादी करने के आरोप में उन्हें 2014 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया.
बच्चे नहीं जा पा रहे स्कूल
इस दौरान सुधीर की दूसरी पत्नी ने दो बेटियां और एक बेटे को जन्म दिया. सुधीर पूरे मामले को लेकर कोर्ट में चले गए. उन्होंने जीवन यापन के लिए एक ऑटो रिक्शा लिया और उसे चलाकर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण करने लगे. सुधीर बेली रोड पटना में तीन हजार रुपये का एक कमरा किराए पर लेकर पूरे परिवार को रखते हैं. उसके बच्चे नौ वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन अब तक स्कूल नहीं जाते हैं. सुधीर बताते हैं कि पास में सरकारी स्कूल नहीं है और प्राइवेट स्कूल में बच्चों को भेजने की हैसियत नहीं है.
सुधीर का कहना है कि ऑटो रिक्शा की कमाई से बड़ी मुश्किल से घर चलता है. साथ ही वकील को भी पैसे देने पड़ते हैं. सुधीर कहते हैं कि उन्हें कोर्ट पर विश्वास है कि जल्द ही उनकी नौकरी वापस मिल जाएगी. सुधीर की दूसरी पत्नी ने बताया कि शादी के वक्त सपना देखा था कि मेरे पति की नौकरी जल्द फिर से मिल जाएगी. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
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