पटनाः बिहार में कई मुद्दों को देखकर ऐसा दिखता है कि जेडीयू और आरजेडी साथ है. हाल ही में अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) का भी जेडीयू ने समर्थन नहीं किया और ना ही आरजेडी इसके पक्ष में था. जातीय जनगणना (Caste Census) पर भी ये दोनों पार्टियां शुरू से एक साथ हैं और यह फैसला भी हो गया कि बिहार सरकार (Bihar Government) अपने पैसों से गणना कराएगी. इस बीच जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने शनिवार को एक बयान आया है कि आरजेडी और जेडीयू के सिद्धांत मिलते हैं.
दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा शनिवार को एबीपी न्यूज से बात कर रहे थे. इसी दौरान एक सवाल पर कि जिस तरीके से अग्निपथ और जातीय जनगणना को लेकर जेडीयू की इन दिनों आरजेडी के साथ नजदीकियां हैं कहीं ऐसा तो नहीं कि फिर से लालू और नीतीश एक साथ होंगे? इस पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ऐसा नहीं है. कई मामलों में जेडीयू और आरजेडी के विचार मिलते हैं लेकिन जेडीयू व्यवहारिक और सैद्धांतिक दोनों एक तरह का रुख रखता है. उनके (आरजेडी) यहां सैद्धांतिक बातें तो होती हैं लेकिन जो व्यवहार करते हैं वो बिहार के और देश के लोगों को मालूम है. इसलिए कई बार ये दिखता है कि एक मुद्दे पर दोनों की सहमति बनती है लेकिन इसके चलते कोई राजनीतिक बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है.
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तोड़-जोड़ कर संख्या बढ़ाने का कोई मतलब नहीं
हाल ही एआईएमआईएम (AIMIM) के चार विधायक आरजेडी में शामिल हुए हैं. इसके बाद आरजेडी 80 विधायकों के साथ प्रदेश की नंबर वन पार्टी हो गई है. इस पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि तोड़-जोड़ कर संख्या बढ़ा लेने का कोई मतलब नहीं है. स्पष्ट है कि जिस वक्त चुनाव हुआ और जो बहुमत एनडीए के पास उस वक्त था आज भी है. जीतन राम मांझी जैसे लोग भी हैं. इसको कोई इधर-उधर नहीं कर सकता है. कोई घर में ख्याली पुलाव बनाए तो उसकी मर्जी है.
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