![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/Premium-ad-Icon.png)
Patna News: शिक्षक पिटाई न करें इसलिए क्या करती थीं शारदा सिन्हा? दोस्तों के साथ मिलकर याद किए पुराने दिन
Sharda Sinha : बांकीपुर स्कूल के एलुमनाई मीट कार्यक्रम में शारदा सिन्हा सहित कई पूर्व छात्राएं पहुंची हुई थी. सभी अपने पुराने दिनों को याद कर काफी खुश थीं.
![Patna News: शिक्षक पिटाई न करें इसलिए क्या करती थीं शारदा सिन्हा? दोस्तों के साथ मिलकर याद किए पुराने दिन Patna News Sharda Sinha reached the school alumni meet program in Bankipur Mahila High ann Patna News: शिक्षक पिटाई न करें इसलिए क्या करती थीं शारदा सिन्हा? दोस्तों के साथ मिलकर याद किए पुराने दिन](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/12/18/c2523a971e5b823311ff982b369a0fde1671305700481169_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
पटना: बिहार का सबसे पुराना पटना स्थित बांकीपुर महिला उच्च विद्यालय की स्थापना शनिवार को 130 साल हो गए. इस स्कूल से पास आउट छात्राओं ने स्कूल में शनिवार को जमकर मस्ती की. इसमें सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा भी शामिल हुई. इसके अलावा भी कई हस्ती बांकीपुर स्कूल (Bankipur Mahila High School) में आयोजित एलुमनाई मीट (Alumni Meet) कार्यक्रम में पहुंची हुई थी. इस दौरान लोक गायिका शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) ने कहा कि मैं शरारत करते हुए भी गाना गाकर टीचर को रीझा देती थी और मैं पिटाई बच जाती थी.
बांकीपुर स्कूल एलुमनाई मीट का हुआ आयोजन
बांकीपुर स्कूल में शनिवार को एलुमनाई मीट कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस समारोह में 30 साल 40 साल पहले जो छात्राएं पास आउट हो गई थी, लगभग सभी जुटी हुई थी. कार्यक्रम में पहुंची सभी महिलाएं साल 1970 से लेकर 1985 के बीच स्कूल में रही थी. इस कार्यक्रम में शामिल होकर सभी ने अपने पुराने दिनों को याद कर काफी खुश दिख रही थी. वही, इसमें पहुंची शारदा सिन्हा ने बताया कि वो समय कुछ और था. हम लोग पढ़ाई भी करते थे और टीचर से डरते भी थे. मैं उस समय हॉस्टल में रहती थी. इसके साथ ही मैं खूब शरारत भी किया करती थी. हालांकि मेरी अन्य सहेलियां की पिटाई होती थी, लेकिन मैं पिटाई से बच जाती थी. मुझे गाना गाने का शौक बचपन से था.
'10 पैसा का इमली लेते थे'
पटना की रहने वाली मुनमुन सिंह ने बताया कि मेरे पति पायलट हैं और मैं हाउसवाइफ हूं. लेकिन मैं अपनी स्कूल के दिनों को हमेशा याद करती हूं. एक साल पहले इस कार्यक्रम की नींव रखी गई थी. उस समय मैं काफी खुश हुई थी. आज एक सुनहरा मौका मिला है, जब हम सभी सहेलियां एक साथ स्कूल में पहुंची हैं और पुराने दिनों को याद कर रहे हैं. स्कूल से निकलते ही 10 पैसा का इमली लेते थे और नमक के साथ हम सभी सहेलियां खाती थी. वहीं, पूर्ववर्ती छात्रा सुषमा झा जो अभी संस्कृत कॉलेज की प्रोफेसर हैं, उन्होंने बताया कि मैं इस स्कूल के हॉस्टल में रही थी, लेकिन अभी के समय में शिक्षा का स्तर गिर चुका है. हम लोग के समय में सरकारी स्कूलों में पढ़कर कोई डॉक्टर तो कोई इंजीनियर और बड़े- बड़े अधिकारी महिलाएं बनी हैं.
बिहार में यह पहला बालिका उच्च विद्यालय था
बता दें कि पटना के बांकीपुर बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना 17 दिसम्बर 1952 में हुआ था .उस समय स्कूलों में लड़कियां बहुत कम जाती थी, उस वक्त बिहार में यह पहला बालिका उच्च विद्यालय था. इतिहासकार बताते हैं कि मात्र 10 छात्राओं से स्कूल की शुरुआत हुई थी, लेकिन 16 दिनों में 32 छात्राएं हो गई थी और धीरे-धीरे छात्राओं की संख्या बढ़ते गया. एक समय ऐसा भी था, जब इस स्कूल में दाखिला कराने के लिए लोगों को काफी परेशानी होती थी.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![तहसीन मुनव्वर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/3df5f6b9316f4a37494706ae39b559a4.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)