Patna Bauna School News: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ (ACS Dr. S Siddharth) लगातार इस ओर ध्यान दे रहे हैं कि बिहार के सरकारी स्कूलों की स्थिति को कैसे और बेहतर किया जा सके. पठन-पाठन से लेकर हर चीज का ध्यान रखा जा रहा है. इसी कड़ी में पटना के 'बौना' स्कूल के नाम से चर्चित फुलवारी शरीफ के सोरंगपुर का प्राथमिक विद्यालय भी शिक्षा विभाग से उम्मीद की बाट जोह रहा है.


यह स्कूल पटना नगर निगम के अंतर्गत वार्ड संख्या 31 में आता है. इस विद्यालय का नजारा देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. इस स्कूल की ऊंचाई जमीन से मात्र सात फीट है. इसमें छह इंच की छत भी शामिल है. अमूमन एक व्यक्ति की हाइट 5 से 6 फीट या उससे ज्यादा भी होती है और ऐसे में इस स्कूल की ऊंचाई से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों को कितनी परेशानी होती होगी. इस स्कूल में सीलिंग फैन तक नहीं लगाया जाता क्योंकि लगाया गया तो खतरा हो सकता है. 



स्कूल में 84 बच्चों को लिए सिर्फ दो शिक्षक


स्कूल के आसपास जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. बरसात में और भी ज्यादा दिक्कत होती है. इस स्कूल में दो कमरे हैं और एक बरामदा है. प्राथमिक विद्यालय है तो कक्षा एक पांचवीं तक के बच्चे पढ़ते हैं. बताया गया कि स्कूल में कुल 84 बच्चे हैं. इसके लिए दो शिक्षक यहां उपलब्ध हैं. दो कमरों में एक कमरा रसोईया और टूटे-फूटे बेंच के लिए बना हुआ है तो एक बरामदा एवं एक कमरे में बच्चे पढ़ाई करते हैं. 


लालू प्रसाद यादव के समय बना था यह स्कूल


यह स्कूल फुलवारी शरीफ प्रखंड के अंतर्गत आता है. विधानसभा क्षेत्र फुलवारी शरीफ है तो लोकसभा क्षेत्र पाटलिपुत्र है. लालू प्रसाद यादव जब मुख्यमंत्री थे तो 1996 में इस स्कूल का निर्माण कराया था. खुद ही उन्होंने उद्घाटन भी किया था. आज इस इलाके में घनी आबादी है. जैसे-जैसे सड़क का निर्माण हुआ स्कूल नीचे चला गया. जलजमाव के कारण स्कूल बंद करना पड़ता था. अब विद्यालय फंड से स्कूल में मिट्टी भराई का काम कराया गया है. इसके साथ ही यह विद्यालय 'बौना' स्कूल के नाम से चर्चित हो गया है.


स्कूल की यह स्थिति लगभग चार साल से है. इसमें चुनाव भी संपन्न कराए गए हैं. कई अधिकारी भी आते-जाते रहे हैं. हालांकि अब तक इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका ने बताया कि पुनर्निर्माण के लिए कई बार लिखित आवेदन दिया गया लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. स्कूल का छज्जा हम लोग की ऊंचाई से नीचे है. हम लोगों को झुक कर स्कूल में आना पड़ता है. बरसात के दिनों में स्थिति खराब रहती है. रोड पर पानी जमा होता है तो स्कूल में भी घुस जाता है.


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