Patna University News: पटना विश्वविद्यालय के एतिहासिक 'व्हीलर सीनेट हाउस' का नाम बदला, जानें क्या रखा गया
Patna University: इसका निर्माण बिहार के मुंगेर के तत्कालीन राजा देवकीनंदन प्रसाद सिंह की मदद से किया गया था. स्थापना के 106 साल पूरा होने से कुछ दिन पहले सीनेट हाउस का औपनिवेशिक नाम बदल दिया गया.
Bihar News: पटना विश्वविद्यालय के एतिहासिक 'व्हीलर सीनेट हाउस' का नाम बदल दिया गया है. अब यह दिग्गज समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नाम पर 'जयप्रकाश नारायण अनुषद भवन' रखा गया है. पटना विश्वविद्यालय की स्थापना एक अक्टूबर, 1917 को हुई थी. विश्वविद्यालय की स्थापना के 106 साल पूरा होने से कुछ दिन पहले सीनेट हाउस का औपनिवेशिक नाम बदल दिया गया.
सीनेट हाउस का किसने किया था उद्घाटन?
विश्वविद्यालय की 106ठी वर्षगांठ के मौके पर रविवार (01 अक्टूब) को सीनेट हॉल में एक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न विभागों में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए. सीनेट हाउस का उद्घाटन 20 मार्च, 1926 को बिहार और ओडिशा प्रांत के तत्कालीन गवर्नर एवं पटना विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सर हेनरी व्हीलर ने किया था.
इसका निर्माण बिहार के मुंगेर के तत्कालीन राजा देवकीनंदन प्रसाद सिंह की मदद से किया गया था. अभिलेखीय दस्तावेजों के अनुसार सर हेनरी व्हीलर ने 1925 में इसकी आधारशिला रखी थी. पटना का यह मशहूर स्थान अपने उद्घाटन के बाद से कई Sतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है.
सीनेट हाउस में लगाई गई नई पट्टिका
पटना विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय की 106ठी वर्षगांठ से कुछ दिन पहले, सीनेट हाउस में नई पट्टिका लगाई गई, जिसमें लिखा गया है कि इसका नाम बदलकर जयप्रकाश नारायण के नाम पर रखा गया है. पट्टिका पर विश्वविद्यालय का लोगो भी लगा हुआ है और इसमें लिखा है, "पटना विश्वविद्यालय - बिहार के राज्यपाल-सह-कुलाधिपति श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की मंजूरी के बाद, 13 सितंबर, 2023 को व्हीलर सीनेट हाउस का नाम बदलकर जयप्रकाश नारायण अनुषद भवन कर दिया गया है."
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि सीनेट हाउस की इमारत का जीर्णोद्धार किया गया है और इसके लिए 2.84 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई थी. बिहार के राज्यपाल अर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पांच सितंबर को पुनर्निर्मित हॉल को फिर से खोलने के मौके पर सीनेट हाउस के पास एक पट्टिका का अनावरण किया था. इस अवसर पर अपने संबोधन में अर्लेकर ने भवन का नाम बदलने का सुझाव देते हुए कहा था कि यह औपनिवेशिक युग का नाम है.
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