Pawan Singh News: काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी और भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने मंगलवार (28 मई) को एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. इस दौरान पवन सिंह ने लोगों से किए अपने किए वादों पर खुलकर बात की. साफ कहा कि वह जो कहते हैं वह करते हैं. उन्हें बड़बड़ाने की आदत नहीं है. जीतने के बाद किस पार्टी में जाएंगे इस पर पवन सिंह ने कहा कि कुछ चीजें मन में होनी चाहिए और कुछ बातें समय पर छोड़नी चाहिए. ये समय तय करेगा. पवन सिंह एबीपी न्यूज़ से काराकाट में बात कर रहे थे.


पवन सिंह ने कहा कि उनका चुनावी अभियान बहुत अच्छा चल रहा है. वह यहां (काराकाट) लड़ाई करने नहीं आए हैं. पवन सिंह ने कहा, "चुनावी माहौल है और मुझे हर जगह से आशीर्वाद मिल रहा है. मैं लड़ाई की बात ही नहीं करूंगा. जैसे जनता का आशीर्वाद मिल रहा है वैसे सबका आशीर्वाद मिलेगा."


पवन सिंह ने बीजेपी पर भी निशाना साधा. कहा कि जिसका जो काम होता है वह करता है. मुझे कोई दुख नहीं है. मेरे साथ जो हुआ है मैं अभी भी उसके लिए धन्यवाद देता हूं. पवन सिंह ने कहा कि सामने से आवाज आ रही है कि मेरे चुनावी कार्यक्रम में 18 से 25 या 30 साल वाले जो युवा हैं वह सेल्फी के लिए पागल हैं. ये वोट नहीं है.


इस सवाल पर कि बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं कि काराकाट में फिल्म सिटी बनवाएंगे. कैसे करेंगे? इस पर पवन सिंह ने कहा कि मैं जो भी करूंगा वह जनता के बीच में खड़ा रहकर करूंगा. एक नेता नहीं एक बेटा और भाई बनकर रहूंगा. मैं उतना ही बोलता हूं जितना कर सकूं. मेरे में बड़बड़ाने की आदत नहीं है. मेरी पूरी की पूरी कोशिश रहेगी कि काराकाट के अंदर छोटी सी फिल्म सिटी बने. मुझे जीवन में धन उतना ही चाहिए कि मैं खुद खा लूं और जो घर में अतिथि आए उनकी सेवा कर सकूं. इससे ज्यादा धन नहीं चाहिए पागल हो जाऊंगा.


'सांसद को जो पैसा मिलता है उससे रोटी नहीं खाऊंगा'


पवन सिंह ने कहा कि उन्हें सांसद बनकर पैसा नहीं कमाना है. उन्हें जनता ने दे बहुत दिया है. कहा कि मेरी बातों पर भरोसा नहीं है तो मैं लिखकर दे दूंगा कि जीतने के बाद जो सांसद को पैसा मिलता है उससे रोटी नहीं खाऊंगा.


एक सवाल पर कि आसनसोल सीट क्यों नहीं? इस पर पवन सिंह ने कहा कि मेरा चुनाव लड़ना 2019 में ही फाइनल था. उस समय हमको पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया गया था. उस समय हमको चुनाव नहीं लड़ना था. इस बार पवन के गाने को ही मुद्दा बना लिया गया. भोजपुरी हो या हिंदी या फिर जो भी भाषा हो कौन-कौन है जो बंगाल पर गाना नहीं गाया है? ये कौन सा मुद्दा है? 


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