नवादा: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के राज्यसभा जाने की चर्चा ने सूबे का सियासी पारा चढ़ा दिया है. तमाम पार्टियों के नेता इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इसी क्रम में आरजेडी नेता और प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने पूरे मामले में प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम थक चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष लगातार चुनौती देकर कह रहे हैं कि सरकार चलाना उनके वश की बात नहीं है.
अपनी अंतिम इच्छा प्रकट कर रहे सीएम
प्रवक्ता ने कहा कि जब कोई व्यक्ति फांसी पर चढ़ता है, तब उससे अंतिम इच्छा पूछी जाती है. इसी प्रकार मुख्यमंत्री राजनैतिक फांसी के शिकंजे में हैं, इसलिए उनसे अंतिम इच्छा पूछी जा रही है. सीएम अपनी अंतिम इच्छा प्रकट कर रहे हैं कि सभी सदन में जा चुके हैं और राज्यसभा में जाने की इच्छा है.
वहीं, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की जमानत के संबंध में पूछे गए सवाल पर शक्ति सिंह यादव ने कहा कि कोर्ट का प्रोसेस है. इस पर कोई टिपण्णी नहीं हो सकता है. हम सभी कानून से बंधे हुए हैं और इस पर प्रतिक्रिया देने का किसी को अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की सेहत खराब है. वे कई बीमारियों के शिकार हैं. वे उम्र के जिस पड़ाव पर हैं, सबकी इच्छा है कि वो बाहर आ जाएं. हेल्थ कंपलसेशन को अगर मानक माना जाएगा तो वे दो दिनों में बाहर आ जाएंगे. लेकिन यह प्रकिया कोर्ट के अधीन है और न्यायालय का सम्मान किया जाना चाहिए.
शराबबंदी में संशोधन पर कही ये बात
वहीं, शराबबंदी कानून में संशोधन पर उन्होंने कहा कि यह संशोधन नहीं है. सिर्फ आइवाश है. शराबबंदी जल्दबाजी में लिया गया फैसला है, जिससे राज्य का नुकसान हो रहा है. पूरा तंत्र शराब के पीछे है. अपराध बढ़े हैं. विधि व्यवस्था की स्थिति खराब है. पिछले एक सप्ताह में दर्जनों हत्याएं हुई हैं. हर दल के कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है, जदयू भी इससे अछूता नहीं है. कानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी है. तंत्र सीएम के नियंत्रण में नहीं है. इस परिस्थिति में सुशासन की स्थापना कतई संभव नहीं है. कोई गवर्नेंस बिहार में नहीं है. जहां सप्ताह में दर्जनों हत्याएं होती हैं, वहां बताएं कि महाजंगल राज व जल्लाद राज क्या है, यह बताए कोई.
सरकार के दबाव में है आसन
आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि सदन का संचालन नियमावली से होता है. संसदीय आचरण सदस्यों के व्यक्तित्व को निखारता है. सभापति व अध्यक्ष भी उसी नियमावलियों से चलते हैं. लेकिन आज आसन सरकार के दबाव में है. छोटी सी चीजों पर निलंबन की स्थिति हो जाती है. ये निर्णय आसन का नहीं हो सकता है.
(नवादा से अमन राज की रिपोर्ट)
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