खरीद कर पानी पीने को मजबूर महादलित बस्ती के लोग, कहा- अब तक नहीं मिला नल-जल योजना का लाभ
पप्पू कुमार ने बताया कि 300 घरों की बस्ती में सात चापाकल हैं, जिसमें से केवल एक कारगर है और बाकी सारे बंद हैं. नल जल योजना के तहत पाइपों का जाल फैला दिया गया है, लेकिन उसमें आज तक पानी नहीं पहुंचा.
कैमूर: बिहार में गर्मी अभी अपने शुरुआती दौर में है, लेकिन पीने का पानी के लिए लोग अभी से ही परेशान दिख रहे हैं. हर घर नल का जल पहुंचाने के दावों के बीच महादलित बस्ती के लोग पीने का पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं. मामला कैमूर जिले के मोहनिया नगर पंचायत के वार्ड नंबर-11 के महादलित बस्ती की है. 300 लोगों की आबादी वाले इस बस्ती में पीने का पानी बड़ी समस्या है. बस्ती में सरकारी योजना के तहत नल और सात चापाकल लगाए गए हैं. लेकिन काम मात्र एक चापाकल करता है. ऐसे लोग खरीद कर पानी पीते हैं.
अधिक से अधिक पानी स्टोर कर रख लेना चाहते हैं लोग
लोगों की समस्या को देखते हुए कभी-कभी नगर पंचायत की ओर से पानी का टैंकर पहुंचा दिया जाता है. लेकिन टैंकर का भी पानी ज्यादा समय तक नहीं चल पाता, दो-तीन दिनों में ही खत्म हो जाता है. वहीं, जब टैंकर दलित बस्ती पहुंचता है, तब पानी के लिए लूट मच जाता है. लोग अधिक से अधिक पानी स्टोर कर रख लेना चाहते हैं, जिससे कई बार तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है.
इस संबंध में स्थानीय युवक पप्पू कुमार ने बताया कि 300 घरों की बस्ती में सात चापाकल हैं, जिसमें से केवल एक चापाकल कारगर है और बाकी सारे बंद हैं. नल जल योजना के तहत दिखावे के लिए घरों के आसपास पाइपों का जाल फैला दिया गया है, लेकिन उसमें आज तक पानी नहीं पहुंचा.
चंदा इकट्ठा करके पानी खरीदते हैं लोग
पप्पू की मानें तो बस्ती के लोग चंदा इकट्ठा करके पानी खरीदते हैं और पीते हैं. चापाकल को ठीक कराने के लिए लोग कई बार विभाग गए, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. नगर पंचायत की ओर से टैंकर का पानी भेज दिया जाता है. वहीं, स्थानीय महिला का कहना है कि हम लोगों के लिए सरकार के पास कोई व्यवस्था ही नहीं है.
इधर, जब इस संबंध में नगर पंचायत के कार्यपालक अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि महादलित बस्ती में दो योजनाएं हैं. एक वार्ड में बोरिंग की समस्या आई हुई है, उसे दिखाया जा रहा है और दूसरे वार्ड में इंजीनयर लगे हुए हैं. फिलहाल, पेयजल की आपूर्ति करने के लिए टैंकर से पानी भेजा जा रहा है, जिससे कि पेयजल का संकट ना हो. वहीं, शहर के अंदर जो भी चापाकल खराब हैं, सभी को जांच के बाद जल्द दुरुस्त कराया जाएगा, ताकि पेयजल का संकट ना गहराए.
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