बिहार के इस गांव में लोग नहीं जाते हैं थाने और कोर्ट, खुद में ही बैठक कर सुलझा लेते हैं सारा मामला
जिलाधिकारी श्याम बिहारी मीणा ने कहा कि वाद रहित गांव ध्रुवपट्टी और मधुरापुर बिहार राज्य के दो ऐसे गांव हैं, जहां कोई वाद नहीं है. यह काफी प्रसन्नता की बात है.
मधेपुरा: बिहार में पिछले कुछ दिनों में आपराधिक घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. लेकिन सूबे में मधेपुरा जिले में दो गांव ऐसे में हैं, जहां लोग थाने नहीं जाते हैं. ना ही कोर्ट-कचहरी की चक्कर में पड़ते हैं. मामला कोई भी हो मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड के ध्रुवपट्टी और चौसा प्रखंड के मधुरापुर गांव के ग्रामीण आपस में बैठक कर उसका निपटारा कर लेते हैं. गांव के पंचायत प्रतिनिधियों के इसी सूझबूझ की वजह से सम्मान समारोह का आयोजन कर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, ज़िला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर शनिवार को सम्मानित किया गया है.
बता दें कि ये दोनों गांव पूर्णरूपेण वाद मुक्त हैं. यहां के लोग सारे मसलों का निपटारा खुद कर लेते हैं. यही कारण है कि दोनों गांव के एक भी मामले न्यायालय या थाने तक नहीं जाते हैं. सम्मान समारोह के बाद सभी अधिकारियों ने ध्रुवपट्टी गांव जाकर लोगों से मुलाकात की और बधाई देते हुए वाद मुक्त गांव की परंपरा को बनाए रखने की अपील की.
सम्मना समारोह को संबोधित करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश चंद मालवीय ने कहा कि किसी भी गांव में मुकदमा या वाद रहता है, तो आपस में लोग लड़ते-झगड़ते हैं और हर दृष्टिकोण से ऐसे समाज के लोग पिछड़ते चले जाते हैं. केस-मुकदमे से लाभ नहीं घटा ही घटा है, इसलिए हर किसी को वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए. अगर कोई विवाद हो भी जाए, तो उसे आपस में मिल बैठकर सुलझा लेना ही समाज की खूबसूरती है.
इस मौके पर जिलाधिकारी श्याम बिहारी मीणा ने कहा कि वाद रहित गांव ध्रुवपट्टी और मधुरापुर बिहार राज्य के दो ऐसे गांव हैं, जहां कोई वाद नहीं है. यह काफी प्रसन्नता की बात है. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में श्रीनगर पंचायत के आदर्श ग्राम ध्रुवपट्टी और अरजपुर पश्चिमी पंचायत के मधुरापुर गांव में एक भी मुकदमा और केस नहीं है, यहां के लोग अपनी सूझबूझ के साथ छोटी-मोटी समस्याओं का निराकरण स्वयं या बड़े बुजुर्गों के साथ में मिलजुल कर करते हैं.
इस मौके पर एसपी योगेंद्र कुमार ने कहा कि वाद रहित गांव में आकर काफी खुशी हुए की अब हमारे समाज में ऐसी जागृति आ रही है. उन्होंने कहा कि अगर हर गांव के लोग इस तरह की परंपरा को अपना लेंगे तो उस गांव समाज को विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता.