पटनाः बिहार में सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है. यह बात बुधवार को जारी शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट से हुआ है. 16वें संस्करण के अनुसार देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के बाद भी बिहार के सरकारी स्कूलों में 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के नामांकन में पिछले एक साल में 3.6% की वृद्धि हुई है. इसको लेकर शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Choudhary) ने कहा कि स्वाभाविक रूप से अभी जो रिपोर्ट आई है यह सरकार और शिक्षा विभाग के लिए अच्छी खबर है कि सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले कि संख्या बढ़ी है. कुछ मायनों में बच्चे या अभिभावक निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों पर भी भरोसा करने लगे हैं.


शिक्षा मंत्री ने कहा कि लोगों का भरोसा बढ़ा है तो यह अच्छी बात है. हम इसका स्वागत करते हैं और हम अपने विभाग के सभी विद्यालयों महाविद्यालयों से जुड़े सभी शिक्षा कर्मियों को शुभकामनाएं देते हैं. आने वाले समय में भी वो अपने शिक्षा का स्तर, अपना व्यवहार इस तरीके का बनाएं की लोगों का भरोसा सरकारी विद्यालयों पर लगातार बढ़ता रहे. खासतौर से इस प्रदेश से या पूरे देश से जो गरीब परिवार के बच्चे हैं वो सरकारी स्कूलों में ही पढ़ते हैं और वैसे स्कूलों के माहौल में अगर बेहतरी आती है तो ये बहुत ही प्रशंसनीय बात है.


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शिक्षक नियोजन पर क्या बोले शिक्षा मंत्री


शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि पंचायती चुनाव के कारण शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया रुक गई थी. उसको हमलोगों ने फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है. हालांकि कुछ जगहों पर मतगणना को लेकर फिर जिला प्रशासन ने कुछ आवेदन दिए हैं उसे हम एडजस्ट करेंगे. जहां तक प्रधानाध्यापक की नियुक्ति की बात है जो बिहार लोकसेवा आयोग के माध्यम से होने हैं उसमें हम लोग ने जो पद सृजित किए हैं उसमें अलग-अलग जिलों को आवंटन कर रोस्टर को जिला प्रशासन द्वारा कराया जा रहा है. रोस्टर आने भी शुरू हो गए हैं. जैसे ही पूरे बिहार का आ जाएगा तो समेकित रूप से आरक्षण कोटे के जो पद होंगे या उनकी जो संख्या होगी उसे समेकित रूप से बिहार लोक सेवा आयोग को भेजेंगे.


सरकारी स्कूलों को लेकर आई रिपोर्ट को देखें


जो रिपोर्ट जारी की गई है उसके अनुसार सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या 2020 में 76.9% से बढ़कर 2021 में 80.5% हो गई. 2018 से पिछले तीन वर्षों में 2.8% की वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 2018 और 2021 के बीच निजी स्कूलों की तुलना में ग्रामीण पृष्ठभूमि के अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों में प्रवेश लिया. बता दें कि ये रिपोर्ट इस साल सितंबर और अक्टूबर के बीच 25 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 581 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए सर्वेक्षण पर आधारित थी.



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