सीतामढ़ी: कोरोना संक्रमण के इस दौर में अस्पताल में जगह नहीं मिलने के कारण चिकित्सक संक्रमितों को घर पर ही रहकर दवा लेने की सलाह दे रहे हैं. अस्पताल में बेड की कमी होने समेत कई कारण बताकर मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता है जबकि सच्चाई यह भी है कि विभाग की लापरवाही के कारण अधिकांश अस्पतालों का हाल बेहाल है.
सीतामढ़ी जिले का एक उप स्वास्थ्य केंद्र ऐसा है जहां ना तो डॉक्टर जाते हैं और ना ही कर्मी. ग्रामीणों ने अस्पताल को तबेला बना दिया है. डुमरा प्रखंड के मुरादपुर गांव की स्थित उन अधिकारियों के मुंह पर तमाचा है जो संसाधनों के अभाव में मरीजों को भर्ती नहीं कर उन्हें घर पर रहने की बात कहते हैं.
पहले कभी-कभी आते थे स्वास्थ्य केंद्र में कर्मी
इस उप स्वास्थ्य के केंद्र की तस्वीर देखने से एक पल के लिए भी यह नहीं लगता है कि यहां कभी मरीजों का इलाज भी किया जाता था. दीवार पर सिर्फ अस्पताल का नाम लिखा हुआ है. उक्त स्वास्थ्य केंद्र का उपयोग ग्रामीण मवेशी को बांधने के लिए करते हैं. गांव के संजीत कुमार व राजेश ने बताया कि पूर्व में यह भवन दुग्ध संग्रह केंद्र था. पहले कभी-कभी नर्स व अन्य कर्मी आते थे. ग्रामीणों को चिकित्सीय सुविधा मिलती थी.
सिविल सर्जन डॉ. राकेश चंद्र सहाय वर्मा ने बताया कि भवन जर्जर हो चुका है, जिसकी मरम्मत के लिए विभाग को लिखा गया है. वहां किसी कर्मी को भेजना जानलेवा हो सकता है. इधर, सरकारी भवन के बेजा इस्तेमाल व भैंस का तबेला बना दिए जाने के सवाल पर सीएस कुछ नहीं बोल सके.
यह भी पढ़ें-
बिहारः अररिया में बेखौफ हुए अपराधी, हथियारबंद बदमाशों ने चालक की पिटाई कर लूटी स्कॉर्पियो
बिहारः इश्क ने फंसाया तो ग्रामीणों ने ‘बसाया’, फिर गांव से कर दिया तड़ीपार; जानें पूरा मामला