कैमूर: नुआव प्रखंड के रहने वाले आठवीं कक्षा के छात्र विकास ने प्लास्टिक से पेट्रोल निकालकर कमाल कर दिया है. चार महीने से कड़ी मेहनत से वह अपने इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था. कचरे के ढेर से सामान इकट्ठा कर प्लास्टिक से उसने पेट्रोल बनाया. हालांकि इस पेट्रोल को अभी डायरेक्ट कार या बाइक में नहीं डाल सकते हैं क्योंकि उसके पहले फ्यूरीफिकेशन की जरूरत है. अभी यह इंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
विकास ने 1500 की लागत में प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने की मशीन तैयार की है. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में उसके स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षकों का भी अहम रोल रहा है. जिले में साइंस विज्ञान मेले में विकास ने पहला स्थान लाकर अपने स्कूल के साथ-साथ परिवार का भी नाम रोशन किया है. यह पहली बार होगा जब कैमूर में किसी ने प्लास्टिक से पेट्रोल बनाया है.
अब राज्य स्तर तक प्रदर्शनी के लिए तैयारी
नुआव मिडिल स्कूल के साइंस के शिक्षक संदीप कुमार बताते हैं कि जब बच्चों ने पूछा कि कोयले से चारकोल और अलकतरा बनाया जा सकता है तो कचरा के प्लास्टिक से कुछ क्यों बन सकता है सर? तो हमने बताया और फिर इस पर काम किया. अभी तक जिले में इस विद्यालय का विज्ञान प्रदर्शनी हुआ था जिसमें प्रथम स्थान मिला. आगे हम लोग राज्य स्तर तक तैयारी कर रहे हैं.
विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने क्या कहा?
प्रधानाध्यापक सत्येंद्र सिंह ने कहा कि पहले बच्चों ने खाद कंपोस्ट बनाना सीखा था. इसके बाद बच्चों ने जब प्रश्न रखा कि कचरे से भी कुछ बनाया जा सकता है तब हम लोगों ने इस पर काम किया. पांच किलो वाले सिलेंडर में प्लास्टिक को पिघलाकर 100 एमएल पेट्रोल निकाला गया.
विकास ने बताया कि उसने साइंस की पुस्तक में पढ़ा कि कोयले से चारकोल और अलकतरा बनता है तो वहीं से ज्ञान मिला कि पेट्रोलियम पदार्थ कैसे बनता है. पेट्रोलियम पदार्थ बनाने की प्रक्रिया को पढ़कर ज्ञान आया कि डीजल और पेट्रोल के कचरे से प्लास्टिक तैयार होता है तो प्लास्टिक वाले तरल पदार्थ में अगर हम बदलते हैं तो उससे पेट्रोल आ सकता है. यही काम किया. चार महीने में यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ.
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