Pitru Paksha 2023: अगर गया जी धाम में करना है पिंडदान तो बरतनी होगी यह सावधानी, पढ़ें काम की खबर
Gaya News: गया जी धाम में 15 दिनों की अवधि में देश-विदेश से लाखों तीर्थयात्री पिंडदान करने पहुंचते हैं. पितृपक्ष अवधि में अनेक नियम और धर्म पालन करने के लिए बताया गया है. इनको जानिए.
गया: पितृपक्ष अवधि में गया जी धाम में पिंडदान (Pitru Paksha 2023 करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पृथ्वी के सभी तीर्थों में गया सर्वोत्तम तीर्थ है. वहीं, मत्स्य पुराण में गया को पितृतीर्थ कहा गया है. यही कारण है कि गया जी धाम में 15 दिनों की अवधि में देश-विदेश से लाखों तीर्थयात्री पिंडदान, तर्पण और कर्मकांडो को पूरा करने के लिए आते हैं. सनातन धर्म के अनुसार यहां मनुष्य की आत्मा को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, जो यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.
क्या है श्राद्ध
गया के विष्णुपद मंदिर स्थित वैदिक मंत्रालय के पंडित राजा आचार्य ने बताया कि भारतीय हिंदुत्व और सनातन में प्राचीन वैदिक परंपरा के तहत अपने पूर्वज पितरों को समर्पित भाव से जो कार्य किया जाता है वही श्राद्ध है. इसका कई पुराणों में भी वर्णन है. जीवित अवस्था में पितृ अपने बच्चों को अच्छे से पालन-पोषण करते हैं. घर, भोजन आदि सहित जीवन कैसे जीना है? यह माता पिता बताते है. वह पूर्वज मृत्यु के बाद कामना करते हैं कि हमारे पुत्र हमारे मृत्यु के बाद उद्धार के लिए श्राद्ध करे और श्रद्धा से होने वाला पिंडदान ही श्राद्ध है. सूर्य कन्या राशि में जब प्रवेश कर जाता है और पहले कृष्णपक्ष को महालया पक्ष यानी पितृपक्ष होता है इस अवधि में श्रद्धा से किए गए श्राद्ध से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति और उद्धार मिलता है.
पिंडदानियो को बरतनी चाहिए यह सावधानियां
पितृपक्ष अवधि में अनेक नियम और धर्म पालन करने के लिए बताया गया है, जिसका पालन करना आवश्यक होता है. पिंडदानी को दूसरे के घर का भोजन नहीं करना चाहिए, झूठ नहीं बोलना, कपट नहीं करना, पितृपक्ष में एक समय ही भोजन करना, रात्रि भोजन का त्याग करना, अगर यात्रा में हो तो अपने भगवान और पितरों का ध्यान करना, किसी के साथ अपशब्द नहीं बोलना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना, गरीबों को भोजन कराना, पशु पक्षियों को भोजन देना, पितरों को तिल तर्पण करना, शुद्ध सात्विक अवस्था में रहना, 15 दिनों तक नित्य पितरों का ध्यान करना, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए.
भागवत या रामायण जी का पाठ अगर नहीं कर सकते हैं तो किसी ब्राह्मण से कराकर सुनना जरूरी होता है. इस तरह कई बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. पितृपक्ष की पूरी अवधि में इन नियमों का पालन करते हुए जीवन को सफल बनाया जा सकता है. इन बातों का पालन करते हुए पिंडदान व तर्पण करने से ही लाभ मिलता है.
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