किसानों के लिए काम की खबर: बिहार में हो रही कश्मीरी, रेड और थाई एप्पल किस्म की बेर की खेती, कमा सकते हैं लाखों रुपये
किसान डॉ. विरेंद्र कुमार सिंह ने बताया है कि वो खेती के अलावा होम्योपैथी के चिकित्सक भी हैं. वर्ष 2020 में शुरुआती दौर में करीब 100 सौ पेड़ से 50 से 60 हजार रुपये का मुनाफा हुआ था.
बांका: बिहार में बहुत ऐसे किसान हैं जिन्हें खेती से ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है. इसी बीच खेती से थके-हारे किसानों के लिए एक खुशखबरी है. बिहार में अब कश्मीरी, रेड और थाई एप्पल किस्म की बेर से लाखों रुपये की कमाई हो रही है. बांका के रजौन प्रखंड के नवादा-खरौनी पंचायत के दुर्गापुर के रहने वाले डॉ. विरेंद्र कुमार सिंह और कुंजबिहारी सिंह ने मिलकर अपनी खेतों में उन्नत किस्म की बेर लगाई है. इससे अन्य किसानों को एक नई राह दिखी है.
पेशे से होम्योपैथी के चिकित्सक भी हैं डॉ. वीरेंद्र
किसान डॉ. विरेंद्र कुमार सिंह ने बताया है कि वो खेती के अलावा होम्योपैथी के चिकित्सक भी हैं. धान की खेती में ज्यादा आमदनी नहीं देख उनके मन में वैकल्पिक खेती का विचार आया और यूट्यूब से इसके बारे में जानकारी ली. इसके बाद बंगाल से लाकर उन्नत किस्म की बेर के पौधे अपने खेतों में लगाए.
80 से सौ रुपये किलो तक बिक रही यह बेर
किसान विरेंद्र सिंह ने बताया कि वे कश्मीरी, रेड एप्पल, थाई एप्पल सहित अन्य उन्नत किस्म की बेर की खेती कर रहे हैं. थाई एप्पल बेर की मांग बाजार में सबसे ज्यादा है. बाजार में यह 80 से सौ रुपये प्रति किलो बिक रही है. ये दिखने में कच्चे सेब जैसे होते हैं. स्वाद में खट्टा-मीठा होता है. लोग इसे किसान का सेब भी कहते हैं. इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके कारण ग्रामीण हाट-बाजारों के साथ-साथ गांव-घर में इस बेर की काफी मांग हो रही है.
बताया कि वर्ष 2020 में शुरुआती दौर में करीब 100 सौ पेड़ से 50 से 60 हजार रुपये का मुनाफा हुआ था. इस बार चार एकड़ जमीन पर करीब चार हजार पेड़ लगाए गए हैं. इससे फल टूटना भी शुरू हो गया है. फसल का पैदावार ठीक हुआ तो इस वर्ष करीब 10 से 15 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है. छोटे-मोटे किसान भी जिनके पास कम जमीन हैं वे भी अच्छी आमदनी के लिए इस बेर की खेती कर सकते हैं.
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