पटना: लंबे समय से केंद्रीय कैबिनेट में जगह बनने के लिए जद्दोजहद कर रहे एलजेपी नेता पशुपति पारस ने आखिरकार कैबिनेट में जगह बना ली. पार्टी अध्यक्ष और भतीजे चिराग पासवान से बगावत करने के बाद पशुपति अब केंद्रीय मंत्री का पद संभालने के लिए तैयार है. बता दें कि हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद पशुपति कुमार पारस राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं.
अलौली विधानसभा से रहे हैं विधायक
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेली) के संस्थापक रामविलास पासवान के राजनीति में आने के बाद उन्होंने भी राजनीति में अपनी किसमत आजमाई. मूल रूप से बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी के रहने वाले नेता ने बिहार विधानसभा चुनाव में अलौली से अपनी दावेदारी पेश की और साल 1977 से लगातार विधायक रहे. तीन बार उन्होंने बिहार मंत्रिमंडल में भी अपनी जगह बनाई और बतौर मंत्री राज्य वासियों की सेवा की.
2017 में बनाए गए थे मंत्री
हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. लेकिन 2017 में राज्य में महागठबंधन सरकार गिरने और एनडीए सरकार बनने के बाद फिर से मंत्री पद से नवाजा गया. नई सरकार में मुख्यमंत्री ने उन्हें पशुपालन विभाग का जिम्मा सौंपा था. लेकिन जब वे मंत्री बनए गए थे, तभी वो किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे. जिसपर खूब बवाल हुआ था. ऐसे में बाद में उन्हें राज्यपाल कोटा से एमएलसी बनाया गया था.
रामविसाल पासवान ने दी थी अपनी सीट
दो साल मंत्री रहने के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में दिवंगत नेता रामविलास पासवान ने अपने छोटे भाई पशुपति पारस को अपनी परंपरागत सीट हाजीपुर से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने एलजेपी के गढ़ में जीत भी हासिल की. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार एनडीए में सीटों का फॉर्मूला 17:17:06 का था. यानी बीजेपी और जेडीयू के पास 17-17 सीट थे. जबकि एलजेपी के पास छह सीट थे. ऐसे में रामविलास पासवान ने अपनी सीट अपने भाई को दे दी. हालांकि, बाद में रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजा गया. साथ ही उन्हें केंद्रीय मंत्री पद से भी नवाजा गया.
शिक्षक की नौकरी कर चुके हैं पारस
निजी जीवन की बात करें तो पारस की पढ़ाई-लिखाई उनके पैतृक गांव और खगड़िया से हुई है. जबकि एमए की पढ़ाई उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से की. लेकिन द्वितीय वर्ष में छात्र आंदोलन की शुरुआत होने के बाद वे पटना छोड़कर भागलपुर चले गए औए वहां से बीएड की डिग्री प्राप्त की. तभी बिहार में शिक्षक बहाली के लिए विझापन हुआ. चूंकि शुरू से ही उनका रिजल्ट अच्छा था इसलिए लखीसराय हाई स्कूल में उनकी नियुक्ति हो गई. हालांकि बाद में वे राजनीतिक जीवन की ओर मुड़ गए.
उनकी शादी साल 1967 में खगड़िया के परमानन्दपुर में शोभा देवी से हुई. दोनों ने 1967 से 1971-1972 कौशी कॉलेज में पढाई की, जिसके बाद शोभा देवी शिक्षिका बन गई और कुछ दिन पहले अध्यापक पद से सेवा निवृत हुईं. पशुपति और शोभा के दो बच्चे हैं. बेटी की शादी हो गई है. बेटे की दिल्ली में पढ़ाई चल रही.
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