औरंगाबाद: किसी ने सही कहा है कि 'हौसले गर बुलंद हो तो आंधियों में भी चिराग जलते है ' इस उक्ति को चरितार्थ किया है नबीनगर प्रखण्ड के ग्राम जौबे के किसान अम्बिका सिंह ने. जिन्होने अपने ही गांव में केले की खेती कर वैशाली के हाजीपुर की खेती को मात देते हुए कृषि के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल कर ली है और प्रतिकूल जमीन में इसकी खेती कर अन्य किसानों के आईकॉन बन बैठे हैं.


गौरतलब है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फोर लोकल का नारा देकर हर क्षेत्र के उद्यमियों को आगे बढ़कर अपने हुनर एवं क्षमता को दिखाने के लिए प्रोत्साहित किया था उसी नारे को अम्बिका सिंह ने सार्थक कर न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहे हैं बल्कि अपनी समृद्धि की गाथा लिख रहे हैं.


किसान अम्बिका सिंह की माने तो एक हेक्टेयर में अभी केले की खेती की जा रही है और जिस जगह पर आज वह खेती कर रहे हैं वह पहले एक बंजर भूमि थी और यहां काफ़ी झाड़ और बबूल के पेड़ उगे हुए थे. लेकिन दृढ़ निश्चयता के साथ खेती में जुटे और आज यह जमीन लहलहाती हरियाली में तब्दील हैं.


किसान अम्बिका सिंह ने बताया कि शुरुआत में इन्हे लोगों की तरह तरह की बातें सुनने को मिलती थी तो गांव के कई लोगों ने इसकी खेती न करने की सलाह दी. किसी ने बेहद नुकसान की बाते कही. लेकिन जेहन में एक ही धुन था केले की खेती को इस क्षेत्र में स्थापित करने और अपनी जिद और जुनून से सफलता प्राप्त हुई. आज हमने केले की खेती को परंपरागत खेती के रूप में अपनाया.


किसान श्री सिंह ने बताया कि उनके द्वारा अब तक लगभग 4 लाख रुपये के केले की बिक्री कर दी गई है .अगर बाजार अच्छा रहा तो 3 लाख रुपये तक की बिक्री और की जाएगी . सहायक निदेशक उद्यान जितेंद्र कुमार समेत अन्य पदाधिकारियों द्वारा केले की खेती का निरीक्षण किया गया. इस दौरान जितेंद्र कुमार ने बताया कि किसान अंबिका सिंह ने इस क्षेत्र में केले की खेती का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, इससे वे आज क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं.


किसान श्री सिंह की माने तो यदि ज़िले के किसान परंपरागत फसल की बजाय केले की खेती करें तो अच्छा खासा धन कमाकर इस मिथक को तोड़ा जा सकता हैं. फिलहाल एक हेक्टेयर में जी 9 किस्म के केले की खेती कर रहे हैं केले की रोपाई के लिए जून-जुलाई सही समय हैं. चूंकि केला लंबी अवधि का पौधा हैं, इसलिए सिंचाई का उचित प्रबंध होना जरूरी हैं. इसके पौधों को कतार में लगाना चाहिए तथा लगाते समय हवा और सूर्य की रोशनी का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए,साथ ही साथ खेत में जलभराव न हो इसके लिए पानी निकासी की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए.