पटना: बिहार में अपराधी बेलगाम हो चुके हैं और पुलिस भी नहीं सुनती है. थाने में केस दर्ज नहीं होता है. ऐसे मुद्दे अक्सर विपक्ष की ओर से सदन में उठाए जाते रहे हैं लेकिन बिहार में इन दिनों सत्ता पक्ष के कुछ विधायक ही ऐसे सवाल उठा रहे हैं. सवाल उठाकर नीतीश कुमार को टेंशन में डाल दिया है. आरजेडी, कांग्रेस और भाकपा माले के विधायकों ने विधानसभा में सवाल उठाया कि एफआईआर के लिए थानेदार लोगों को दौड़ाते हैं. महीनों हो जाते हैं लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं होती है. इसको लेकर बिहार में सियासी बवाल मच गया है.


आरजेडी के विधायक ऋषि मिश्रा ने कहा कि पूरे बिहार के थाने का यही हाल है. आपके साथ कुछ घटना घटती है तो आप एफआईआर के लिए थाने में दौड़ते रहे. कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में औरंगाबाद जिले के दाउदनगर में एक मोबाइल कंपनी के टावर से सिस्टम और कई अन्य सामान को चोरों ने चुरा लिया. एफआईआर दर्ज करने के लिए थानेदार कई दिनों तक टावर के मैनेजर को दौड़ाते रहा. जब उन्होंने इस मामले में खुद थानेदार को फोन किया तो मामला दर्ज करने की जगह टावर के मैनेजर को खरी-खोटी सुना दी. जब विधानसभा में यह मामला उन्होंने उठाया तब जाकर 20 दिन बाद थाने में मामला दर्ज हुआ.


सरकार बदल गई लेकिन प्रशासन का रवैया नहीं


भाकपा माले के विधायक अमरजीत कुशवाहा ने कहा कि थाने के काम में गड़बड़ी है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस बात को हम लोग पहले भी सदन में उठाते रहे हैं. सरकार को इस मामले में सख्त होना पड़ेगा. कहा कि सदन में यह सवाल उठा है तो अच्छी बात है. सरकार तो बदल गई है परंतु प्रशासन के रवैया में कोई बदलाव नहीं आया है.


सदन में उठे मुद्दे के बाद कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने बताया कि स्थानीय थाने की पुलिस एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करती है. जो चढ़ावे वाली बात है वह भी सत्य है. प्रतिमा दास ने कहा कि अगर कोई माननीय फोन करेगा तो शिकायत दर्ज होगी और अगर नहीं किया तो एफआईआर दर्ज नहीं होगी. कहा कि उनके क्षेत्र में भी लगभग यही स्थिति है.


नीतीश कुमार को करनी चाहिए कार्रवाई


सीपीआई (एमएल) के विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी विधायकों से नहीं मिलते हैं और न ही उनका फोन उठाते हैं. बेइज्जती होती है. काम न करने वाले पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर नीतीश कुमार को कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन वो नहीं कर रहे हैं.


इधर आरजेडी के विधायक ऋषि मिश्रा ने कहा कि  थाना प्रभारी सुनते नहीं हैं. एफआईआर 24 घंटे में दर्ज होने का प्रावधान है. यहां 20 दिन में एफआईआर दर्ज हो रही है. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को काम से कोई मतलब नहीं है.


इस मामले पर पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि विधानसभा का मामला हमारे क्षेत्र से बाहर का है. विधानसभा का मामला जब मेरे पास आएगा तो हम आप लोगों (मीडिया) को बताएंगे.


यह भी पढ़ें- Bihar Politics: '…तब ही बिहार में हिंदू सुरक्षित रह पाएंगे', बीजेपी विधायक के बयान पर मचा बवाल, RJD ने की बड़ी मांग