नीतीश कुमार के नेतृ्तव में सात दलों के महागठबंधन की सरकार बुधवार को बिहार की सत्ता संभालेगी. नीतीश ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी. इसके बाद महागठबंधन ने उन्हें अपना नेता चुना था और उन्होंने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था. इससे पहले नीतीश की पार्टी जदयू ने 2015 में भी आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर महागठबंधन बनाया था. उस समय नीतीश के रणनीतिकार थे प्रशांत किशोर. वो अब उनसे अलग होकर अपना राजनीतिक दल बनाने की प्रक्रिया में हैं. वो इन दिनों 'जन सुराज' के नाम से अभियान चला रहे हैं. बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम पर एबीपी के प्रकाश कुमार ने उनसे बातचीत की. 


प्रशांत किशोर ने क्या कहा है


प्रशांत किशोर कहते हैं कि बिहार के लिए पिछले 12-13 साल का दौर राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा है. साल 2012-2013 से बिहार में जो राजनीतिक अस्थिरता शुरू हुई है, वह थमने का नाम नहीं ले रही है. पिछले 10 साल में यह बिहार में यह छठवीं सरकार है, जो शपथ लेने जा रही है. उन्होंने कहा कि इस राजनीतिक बदहाली के दौर में बिहार में केवल दो चीजें ही स्थिर रही हैं, उनमें से एक हैं नीतीश कुमार, जो किसी भी तरह की सरकार रही हो ,उसमें वो मुख्यमंत्री रहे हैं.दूसरी चीज है बिहार की बदहाली, इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है.इसके लिए हम सब लोग दोषी हैं. क्योंकि कुछ दिन तक मैं भी इसमें भागिदार रहा हूं. 


उन्होंने कहा कि वो पिछले तीन महीने से बिहार में हैं. रोज लोगों से मिलते-जुलते हैं, यात्राएं करते हैं. लेकिन इस दौरान पिछली सरकार को लेकर सुशासन वाली बात उन्हें कहीं नहीं सुनाई दी. वो कहते हैं कि अब जो सरकार बनने जा रही है,इस सरकार का एजेंडा क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी.पिछली सरकार में एक जो बड़ी समस्या नजर आई, वह थी शराबबंदी,देखने वाली बात होगी कि नई सरकार की शराबबंदी पर क्या नीति रहती है. क्या उसको लेकर कोई नई बात होगी. उन्होंने कहा कि किसानों को खाद पहले भी नहीं मिलती थी और आगे आज भी नहीं मिलने वाली है. उन्होंने कहा कि क्या ऐसा कोई बदलाव होता है, जो जनता को नजर आए, यह देखने वाली बात होगी. उन्होंने कहा कि जो सरकार बनने जा रही है, इस सरकार के पास भी कोई एजेंडा होगा ही. हमें देखना होगा कि यह सरकार किस घोषणापत्र को लेकर आती है. 


नीतीश कुमार का घोषणा पत्र क्या होगा?


वो कहते हैं कि नीतीश कुमार की कल तक जो सरकार थी, वह सात निश्चिय पार्ट-2 के घोषणा पत्र पर चल रही थी. अब यह देखने वाली बात होगी कि नई सरकार किस घोषणा पत्र पर चलती है,सात निश्चिय पार्ट-2 के आधार पर या 2015 में महागठबंधन के समय बने 'सात निश्चिय' के आधार पर या कोई नया घोषणा पत्र आएगा, जिसमें पिछले चुनाव में आरजेडी के 10 लाख नौकरियों और शिक्षकों को लेकर की गई घोषणाओं और जदयू के घोषणापत्र को इसमें शामिल किया जाता है या नहीं. 


प्रशांत किशोर कहते हैं कि आप किसी भी पॉलिटिकल फॉरमेशन में रहें, उससे ज्यादा जरूरी बात यह है कि आप काम क्या करते हैं. मेरी उम्मीद है कि आप किसी भी पॉलिटिकल फॉरमेशन में रहें आप अच्छा काम करें. लोगों को स्थिति बेहतर हो यह ज्यादा जरूरी होगा.वो कहते हैं अभी कि वो यह नहीं देख रहे हैं कि नीतीश कुमार पीएम की रेस में शामिल हो रहे हैं और उसकी शुरूआत बिहार से कर रहे हैं. वो कहते हैं कि अभी तो सरकार बनी है, इस सरकार ने कोई चुनाव तो जीता नहीं है.इसलिए अभी ऐसा नहीं कहा जा सकता. इस तरह की संभावनाओं पर बहुत आगे बढ़कर बोलना मुझे नहीं लगता है कि सही होगा.


क्या सरकार का काम जमीन पर नजर आता है?


उन्होंने कहा कि सरकार का जो कार्यकाल बाकी है, उसमें अगर नीतीश कुमार की सरकार जमीन पर कुछ काम करती है, जैसे  शिक्षा, रोजागार, शराबबंदी, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार रोकने के क्षेत्र में तो यह अच्छा होगा. इसके बाद बार-बार पाला बदलने से विश्वसनीयता में बट्टा भी लग जाए तो कोई बात नहीं है. प्रधानमंत्री पद की रेस में कौन शामिल होगा कौन नहीं होगा, यह जब चुनाव होगा तो सामने आएगा. मैं समझता हूं कि आप आज यह सवाल नीतीश कुमार से करेंगे तो वह भी यह बात कहेंगे. 


नीतीश कुमार के स्टैंड पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह बहुत मायने नहीं रखता है कि आप समझौता किससे कर रहे हैं, मायने यह रखता है कि आप बिहार के लिए क्या कर रहे हैं, दुर्भाग्य से कुछ होता हुआ दिख नहीं रहा है. लोगों को वह नहीं मिला जो उन्होंने सरकार से अपेक्षा की थी. नीतीश कुमार से किसी तरह के समझौते के सवाल पर कहा कि उनसे मेरा कोई झगड़ा ही नहीं है. उनसे मैं मार्च में मिला भी था और गाहे-बगाहे बात भी हो जाती है. राजनीतिक तौर पर वह क्या कर रहे हैं, मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है.


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