पटना: आरजेडी के बाहुबली नेता रहे प्रभुनाथ सिंह (Prabhunath Singh) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार (18 अगस्त) को डबल मर्डर केस में दोषी करार दिया. दोहरे हत्याकांड मामले में निचली अदालत और पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था. अब एक सितंबर को सजा पर बहस के लिए अपने सामने पेश करने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है. आइए समझिए कि कौन है प्रभुनाथ सिंह जिसकी पहचान एक बाहुबली नेता के रूप में थी और यह डबल मर्डर का पूरा मामला क्या है.
1995 में छपरा में 18 साल के राजेंद्र राय और 47 साल के दरोगा राय की मतदान केंद्र के नजदीक हत्या हुई थी. आरोप लगा था कि प्रभुनाथ सिंह ने दोनों को इसलिए मार डाला क्योंकि उन्होंने प्रभुनाथ सिंह के कहने मुताबिक इन दोनों ने मतदान नहीं किया था.
क्या है प्रभुनाथ सिंह का राजनीतिक इतिहास?
प्रभुनाथ सिंह का राजनीतिक करियर काफी लंबा है तो आपराधिक इतिहास उससे ज्यादा पुराना है. प्रभुनाथ सिंह का उत्तर बिहार में दबंगई का इतिहास भी काफी पुराना रहा है. 1995 में पूर्व विधायक अशोक सिंह की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं और अभी हजारीबाग जेल में बंद हैं. 23 मई 2017 को 27 साल पहले विधायक अशोक सिंह की हत्या मामले में हजारीबाग कोर्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
प्रभुनाथ सिंह की पहचान दबंग छवि वाले नेता के रूप में रही है. शुरुआती दौर में वो मशरक विधानसभा से चुनाव लड़े थे. इससे पहले मशरक के विधायक रहे रामदेव सिंह काका की 1980 में हत्या हुई थी जिसमे प्रभुनाथ सिंह पर आरोप लगा था. उस वक्त से प्रभुनाथ सिंह काफी चर्चा में आ गए थे, लेकिन इसमें वह बरी हो गए थे. जनता ने काका के बेटे को सहानुभूति वोट देकर जिताया था लेकिन 1985 में उस क्षेत्र पर प्रभुनाथ सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कब्जा जमा लिया था. इसके बाद से लगातार 1995 तक दो बार विधायक रहे और 1998 से 2014 तक चार बार लोकसभा के सदस्य रहे.
विधानसभा कार्यकाल
1985-1990- मशरक से विधायक (पहला कार्यकाल), निर्दलीय
1990-1995- मशरक से विधायक (दूसरा कार्यकाल), जनता दल
लोकसभा कार्यकाल
1998-1999- महाराजगंज से 12वीं लोकसभा में सांसद (प्रथम कार्यकाल), समता पार्टी
1999-2004- 13वीं लोकसभा में महाराजगंज से सांसद (दूसरा कार्यकाल), जेडीयू
2004-2009- महाराजगंज से 14वीं लोकसभा में सांसद (तीसरा कार्यकाल), जेडीयू
2013 -2014- महाराजगंज से 15वीं लोकसभा में सांसद (चौथा कार्यकाल), आरजेडी से उपचुनाव में हुई थी जीत
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