पटना: प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) जन सुराज अभियान के तहत बिहार के गांवों में घूम-घूमकर पदयात्रा कर रहे हैं. दो अक्टूबर 2022 से वह लगातार अपनी यात्रा कर रहे हैं. पीके के इस अभियना से कई वर्गों के लोग भी जुड़ रहे हैं. पदयात्रा से पहले ही उन्होंने कहा था कि अभी तक कई लोग उनसे जुड़े हैं. एक साल तक यह पदयात्रा होगी और इसमें सभी वर्ग के लोग जुड़ेंगे. पीके की इस बात का असर दिख रहा है. कई जनप्रतिनिधि और तीन विधान पार्षद पहले ही जुड़ चुके हैं. अब पीके के अभियान में छह रिटायर्ड आईएएस अधिकारी भी मंगलवार (2 मई) को जुड़े.


पाटलिपुत्र स्थित जन सुराज के कार्यालय में ये सभी पीके के अभियान से जुड़े. कहा जा रहा है कि ये वैसे अधिकारी रहे हैं जिन्होंने पद पर रहते हुए जनता की सेवा तो की लेकिन पॉलिटिकल और वरीय अधिकारियों के दबाव के कारण बहुत कुछ नहीं कर पाए. अब उनका सपना है कि प्रशांत किशोर के साथ जुड़कर वे समाज की सेवा करेंगे.


छह पूर्व आईएएस के ये हैं नाम


1- अजय कुमार द्विवेदी - पश्चिम चंपारण जिले के रहने वाले हैं. विशेष सचिव कैबिनेट बिहार सरकार से सेवानिवृत्त हुए हैं. 1981 बैच हैं.


2- अरविंद कुमार सिंह - भोजपुर जिले के रहने वाले हैं. सचिव एवं जिला अधिकारी भी कैमूर एवं पूर्णिया में रह चुके हैं. 1983 बैच के हैं.


3- ललन सिंह यादव - मुंगेर के रहने वाले हैं. सहरसा के आयुक्त एवं नवादा तथा कटिहार के डीएम भी रह चुके हैं. 1981 बैच के हैं.


4- तुलसी हजरा - पूर्वी चंपारण जिले के रहने वाले हैं. प्रशासक बेतिया से सेवानिवृत्त हुए हैं. 1981 बैच के हैं.


5- सुरेश शर्मा - गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं. संयुक्त सचिव स्वास्थ्य विभाग बिहार सरकार से सेवानिवृत्त हुए हैं. 1985 बैच के हैं. 2015 में रिटायर्ड हुए.


6- गोपाल नारायण सिंह - औरंगाबाद जिले के रहने वाले हैं. संयुक्त सचिव ग्रामीण कार्य विभाग बिहार सरकार से सेवानिवृत्त हुए हैं. 1983 बैच के हैं.


क्या है इनका मिशन?


प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान से जुड़ने वाले यह सभी छह वैसे अधिकारी हैं जो बड़े पद पर रहे. इसमें से कई जिलाधिकारी से लेकर कैबिनेट सचिव और संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं. सबने अपना-अपना अनुभव बताया. टीम से जुड़ने का मकसद भी बताया. एक पूर्व आईएएस ने कहा कि प्रशांत किशोर से जुड़ने का सबसे बड़ा मकसद है कि जो भी पॉलिटिकल पार्टी है उसमें एक ही नेता कभी आरजेडी में होते हैं तो कभी बीजेपी में होते हैं तो कभी जेडीयू में आते हैं. नए लोग जो समाज की सेवा करना चाहते हैं वह लोग नहीं आ पाते हैं. इसलिए वे इस अभियान से जुड़े हैं.


इनमें से दो रिटायर्ड अफसर ने स्वीकार किया कि अगर भविष्य में जन सुराज अभियान के तहत चुनाव लड़ा जाता है तो वे लोग भाग ले सकते हैं, लेकिन चार पूर्व आईएएस ने बताया कि वे चुनाव से दूर रहना चाहते हैं. वे गरीब तबके के लोगों की सेवा करने के लिए आए हैं. अगर अच्छे लोग चुनाव लड़ेंगे तो वे उन्हें सहयोग भी करेंगे, लेकिन वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे.


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