Prashant Kishor Statement: नीतीश सरकार के इस कानून को PK ने बताया फेल, कहा- पूरे प्रदेश में आज सक्रिय है माफिया तंत्र
Bihar News: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जन सुराज पदयात्रा के दौरान छपरा पहुंचे हुए हैं. इस दौरान गुरुवार को कई मुद्दोंं को लेकर उन्होंने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा.
पटना: जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के 173वें दिन गुरुवार को सारण के इसुआपुर प्रखंड में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार (Nitish Kumar) पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि आज बिहार में शराबबंदी पर बात करना बेमानी है क्योंकि शराब की दुकानें बंद है लेकिन घर पर डिलीवरी हो रही है. बिहार के लोगों ने भी आज इस बात को सत्य मान लिया है. आज एक बड़ा माफिया तंत्र बिहार में सक्रिय है जो शराब के धंधे में लिप्त है. जो शराब लेकर आता है, बेचता है और पैसा कमाता है.
शराबबंदी पर आज बात करने का कोई मतलब नहीं- प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार पुलिस और सरकारी अधिकारियों का एक बड़ा हिस्सा अपना सारा काम छोड़कर शराबबंदी को लागू करने और उससे पैसे कमाने में लगे हुए हैं. पुलिस थानों के लिए कहा जाता है कि थानों का रेट इस बात पर निर्भर करता है कि उस थाना क्षेत्र में कितनी शराब मिलती और बिकती है. इसलिए शराबबंदी पर आज बात करने का कोई मतलब नहीं बनता है.
प्रशांत किशोर ने गिनाई किसानों की समस्या
आगे किसानों पर बात करते हुए चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि आज किसानों की तीन सबसे बड़ी समस्या है. बिहार में जल प्रबंधन बड़ी समस्या है. बिहार में 50 प्रतिशत खेती योग्य भूमि बाढ़ से प्रभावित हैं और उतनी ही भूमि सूखे से ग्रसित है. ये समस्या दिखाती है कि बिहार में जल प्रबंधन पूरी तरह से विफल है. देश में बिहार एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां पिछले 10 साल में 11 प्रतिशत सिंचित भूमि कम हो गई है. इसके बाद दूसरी बड़ी समस्या है भूमि सुधार कानून का लागू न होना. देश में सबसे ज्यादा भूमिहीन लोग बिहार में ही हैं. बिहार में 100 में से 60 आदमी के पास बिल्कुल भी जमीन नहीं है. बाकी 40 में से 35 आदमी ऐसे हैं जिनके पास दो बीघा से कम जमीन है. इस हिसाब से बिहार में 100 में से 95 लोग पेट भरने के लिए खेती करते हैं, कमाने वाली खेती नहीं करते हैं.
फसलों का समर्थन मूल्य नहीं मिलता- प्रशांत किशोर
किसानों की तीसरी समस्या पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि किसानों को उनके फसलों का समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता है. किसानों से बात करने पर 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने धान को 1200 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा है, जबकि धान का सरकारी समर्थन मूल्य 2050 रुपये है. बिहार में किसानों को इन तीन बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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