समस्तीपुर: जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के 223वें दिन समस्तीपुर जिले के मोरवा प्रखंड में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने विपक्षी एकता को लेकर शुक्रवार को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जो कर रहे हैं इसका कोई मतलब नहीं बनता है. नीतीश कुमार जो विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं वो बिहार में सीटों का ही फार्मूला जारी कर दे कि बिहार में जेडीयू, कांग्रेस, आरजेडी और उनके अन्य जो सहयोगी दल हैं वो कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. नीतीश कुमार की पार्टी 110 सीटों पर लड़ कर 42 सीट पर जीती हैं, सीपीआई (ML) 17 सीटों से लड़कर 12 सीट जीती हैं. इस हिसाब से उनको को ज्यादा सीट मिलनी चाहिए, तो नीतीश कुमार अपनी सीट छोड़ देंगे? जिसके अपने घर का ठिकाना है नहीं, वह आदमी पूरे दुनिया में घूमेगा तो वो न घर का होगा ना बाहर का बचेगा.
प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर साधा निशाना
प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार में बीजेपी को कोई नया आदमी नहीं मिल रहा है, उनको भी वही व्यक्ति मिला है जिनके बाप-दादा पहले किसी और दल में थे, बिहार में बीजेपी अभी नेता ही खोज रही है. कोई नेता उनको यहां मिल जाए, जिसके नाम पर बिहार में चुनाव लड़ा जा सके. इसके फिराक में रहते हैं. प्रधानमंत्री के चेहरे पर जो वोट मिलती है. वही वोट बीजेपी को मिल रही है. बिहार में बीजेपी के किसी नेता के नाम पर पांच वोट भी नहीं है.
तेजस्वी को किसी विषय का कोई ज्ञान नहीं- प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार ने आगे कहा कि लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है. अगर 4-4 लाख लोग तीन बार परीक्षा देने जाएंगे तो 12 लाख लोगों की परीक्षा लेगा कौन? जब मूर्ख व्यक्ति को नेता बना देंगे तो वो यही काम होगा. तेजस्वी यादव चुनाव में आएं और 10 लाख नौकरी देने का वादा किया और कहा कि एक साइन करेंगे और आपको नौकरी मिल जाएगी. ये दिखाता है कि आप कितने बड़े अज्ञानी हैं. किसी कैबिनेट के पास ये अधिकार नहीं है कि एक साइन पर नौकरी मिल जाएगी. कैबिनेट ये निर्णय कर सकती है कि कितने पद निकलेंगे, किस विभाग में निकलेंगे, कैबिनेट नौकरी नहीं दे सकती है, ये दिखाता है कि तेजस्वी को किसी विषय का कोई ज्ञान ही नहीं है.
बीपीएससी पर उठाया सवाल
वहीं, 10 लाख नौकरी के सवाल पर तेजस्वी पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 10 साल में बीपीएससी के काम करने का जो तरीका है उसको ध्यान से समझ जाए तो एक साल में 10 हजार से ज्यादा लोगों को नौकरी देने की क्षमता बीपीएससी की नहीं है. कितने लोगों को परीक्षा देनी है, कितने लोगों का आवेदन होगा? इन सब के हिसाब से 10 हजार से ज्यादा नौकरी बीपीएससी नहीं दे सकती है. नियमावली को अगर ठीक मान लिया जाए तो बीपीएससी को दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति करने में कम से कम पांच साल का समय लगेगा और नियोजित शिक्षकों के पास केवल तीन अवसर है.
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