पटना: शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) इन दिनों काफी सुर्खियों में है. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर (Chandrashekhar) और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) के बीच विवाद चल रहा है. इस मामले को लेकर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने नीतीश सरकार (Nitish Kumar) को घेरे में लेते हुए शनिवार को कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त है. बिहार में जब शिक्षा को लेकर नए-नए परिवर्तन होंगे, तो उथल-पुथल होना तय है. शिक्षा मंत्री और केके पाठक के बीच क्या हो रहा है, ये महत्वपूर्ण नहीं है. वर्तमान सरकार ने डोमिसाइल के नियम को बदला है, इससे बिहार के युवाओं को मौका नहीं मिलेगा और उनके साथ अन्याय होगा. यूपी, मध्य प्रदेश और दूसरे राज्य के लोग बिहार में आकर नौकरी करेंगे और बिहार के लोग दूसरे राज्यों में जाकर फैक्ट्री में मजदूरी करेंगे.
'नीतीश सरकार शिक्षा व्यवस्था के लिए काला अध्याय'
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश सरकार में ध्वस्त हुई शिक्षा व्यवस्था को आने वाले दिनों में काला अध्याय कहा जाएगा. सड़कें खराब हो, तो अगली सरकार बना सकती है, बाढ़ आएगी तो जल प्रबंधन की उचित व्यवस्था कर समस्या खत्म की जा सकती है, लेकिन खराब शिक्षा व्यवस्था के कारण दो पीढ़ियां जो पढ़कर निकली हैं, उनका भविष्य सुधरने वाला नहीं है. उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी. हमेशा पढ़े-लिखे लोगों के नीचे ही उन्हें काम करना होगा.
बिहार के बच्चों का नुकसान हो रहा है- प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि बिहार सरकार 40 हजार करोड़ रुपए शिक्षा व्यवस्था पर खर्च करती है. अपर मुख्य सचिव को जो कहना है कह लें, शिक्षा मंत्री को जो कहना है कह लें, लेकिन शिक्षा व्यवस्था सुधरती नहीं दिख रही है. किसी का भी ध्यान शिक्षा को सुधारने पर नहीं है. दोनों ही अपनी बात मनवाने पर लगे हैं कि मेरी बात मान ली जाए. इसमें नुकसान बिहार के बच्चों का है, अध्यापकों का है, स्कूल प्रबंधन का है.
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