पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) पर चुनावी रणनीतिकर प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने शुक्रवार को कहा कि मैं शुरुआती दौर से कहता आ रहा हूं कि सबसे पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से पूछा जाना चाहिए कि इसका कानूनी आधार क्या है? आज ये आम लोगों को आंख में धूल झोंकने के लिए सर्वे करवा रहे हैं. जातीय जनगणना का नतीजा आज क्या हुआ? जिस दिन ये न्यायालय में गए न्यायालय ने इसे रोक दिया. जातीय जनगणना राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आती ही नहीं है. इन नेताओं को कोई जातीय जनगणना नहीं करवाना है. बिहार की जनता खुद सोच कर देखें कि नीतीश कुमार इतने लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं इसके बाद भी उन्होंने आज तक जातीय जनगणना क्यों नहीं करवाया?


ये समाज को बांटने का काम कर रहे हैं- प्रशांत किशोर 


प्रशांत किशोर ने कहा कि आरजेडी की सरकार थी. लालू यादव खुद 15 साल सरकार में थे, क्यों नहीं करवाया जातीय जनगणना? आज इन्हें ज्ञात हो रहा है? सच्चाई तो यह है कि चुनाव आने वाला है और कुछ होता हुआ दिख नहीं रहा है तो बाप-बाप कर रहे हैं. आज ये समाज को बांटने का काम कर रहे हैं. इसके अलावा इनकी कोई मंशा नहीं है. पिछले 32 साल से लालू-नीतीश मुख्यमंत्री हैं, उस समय उन्होंने जातीय जनगणना क्यों नहीं करवाया? अगर ये राज्य का मामला था तो पहले क्यों नहीं करवाया गया? सच्चाई तो यह है कि वो जातीय जनगणना है ही नहीं वो तो सर्वे है और इसको भी न्यायालय ने रोक दिया है.


'जातियों की राजनीति करनी है'


चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि जातियों की राजनीति करनी है ताकि सारा समाज बंटा रहे, सारा समाज अशिक्षित और अनपढ़ बना रहे, तभी तो 9वीं फेल को आज लोग उपमुख्यमंत्री मानेगा. बिहार के लोगों को समझने की जरूरत है कि अगर गरीब के बच्चे पढ़ लिख जाएंगे तो कौन इन अनपढ़ों को नेता मानेगा?


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