बिहार में जहरीली शराब से मौत पर प्रशांत किशोर की पहली प्रतिक्रिया, जानिए क्या कुछ कहा
Bihar Hooch Tragedy: पीके ने कहा कि जन सुराज में हम पहले दिन से कह रहे हैं कि वोट मिले या ना मिले ये शराबबंदी का निर्णय बिहार के पक्ष में नहीं है. जनता के पक्ष में नहीं है.
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Prashant Kishor on Bihar Hooch Tragedy: छपरा और सीवान में जहरीली शराब से 25 लोगों की मौत की पुष्टि आधिकारिक रूप से कर दी गई है. हालांकि आंकड़े और ज्यादा बताए जा रहे हैं. अब इस पूरी घटना पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया आई है. इस घटना पर गुरुवार (17 अक्टूबर) को प्रशांत किशोर ने सरकार को घेरा है.
प्रशांत किशोर ने कहा, "मैं तो पहला व्यक्ति हूं जो सार्वजनिक तौर पर हर मंच से यह बात पिछले ढाई-तीन वर्षों से जब से मैं बिहार आया हूं गांव में गया हूं मैंने घूमकर जो देखा उसके आधार पर कह रहा हूं कि बिहार में शराबबंदी कहीं लागू है ही नहीं. शराबबंदी सिर्फ सरकारी फाइलों में और नेताओं के भाषणों में लागू है. शराबबंदी के नाम पर शराब की दुकानें बंद की गई हैं. घर-घर शराब बिक रही है."
छपरा-सीवान की घटना को पीके ने बताया दुखद
छपरा-सीवान की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि यह दुखद है, लेकिन इसी छपरा में डेढ़ साल पहले 70 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. कोई बिहार का ऐसा जिला या पंचायत नहीं है जहां जहरीली शराब से लोगों की मौत नहीं हुई है. बहुत घटनाओं की रिपोर्ट ही नहीं है. जो घटिया क्वालिटी की शराब है, जो शराब माफिया जहरीली शराब या गलत तरीके की शराब बेच रहे हैं इसके पीने से लोगों के स्वास्थ्य पर जो असर पड़ रहा है इस पर तो चर्चा ही नहीं हो रही है."
10 की शराब 100 में बिक रही: प्रशांत किशोर
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि यह जो घर-घर बिकने वाली शराब है बिहार की सरकार को समझना होगा कि आपने शराबबंदी के नाम दुकान बंद की है, घर-घर शराब बिक रही है. 10 की शराब 100 में बिक रही है. फायदा किसको हो रहा है? फायदा हो रहा है भ्रष्ट अधिकारियों को, भ्रष्ट नेताओं को और शराब माफिया को जो 15 से 20 हजार करोड़ हर साल कमा रहे हैं.
पीके ने कहा कि जन सुराज में हम पहले दिन से कह रहे हैं कि वोट मिले या ना मिले ये शराबबंदी का निर्णय बिहार के पक्ष में नहीं है. जनता के पक्ष में नहीं है. इतनी मौतों के बाद भी सरकार की ओर से नीतीश कुमार वहां जाएंगे तक नहीं. पिछली बार करीब 70 लोगों की मौत छपरा में हुई तो सरकार की ओर से कोई गया नहीं. अधिकारी जाएंगे खानापूर्ति हो जाएगी. इस फर्जी शराबबंदी कानून को हटाना चाहिए. बेचना है तो रेगुलेटेड तरीके से शराब बेची जाए.
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