Bihar Caste Survey: जातीय सर्वे पर नीतीश-तेजस्वी को प्रशांत किशोर का खुला चैलेंज, 2024-2025 की कर दी 'भविष्यवाणी'
Prashant Kishor: मधुबनी के खुटौना प्रखंड में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने बयान दिया है. उन्होंने तेजस्वी पर सवाल उठाए कि वही क्यों पथ निर्माण मंत्री रहेंगे?
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Prashant Kishor News: बिहार में जातीय आधारित गणना के बाद मंगलवार (07 नवंबर) को सदन में नीतीश सरकार (Nitish Government) ने आर्थिक सामाजिक सर्वे रिपोर्ट पेश की. बिहार में जातीय आधारित इस सर्वे पर शुरू से ही बवाल मचा है. जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने इस जातिगत सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को चुनौती दी है. मंगलवार को पीके ने बयान जारी किया.
प्रशांत किशोर ने चैलेंज करते हुए कहा कि 2024-25 के चुनाव में नीतीश कुमार को जातिगत सर्वे बहुत भारी पड़ने वाला है. अगर, वे दोनों भला चाहते हैं तो मुसलमान को होम मिनिस्टर बनाएं. लालू यादव और नीतीश कुमार को ये बताना चाहिए कि समाज के जो पिछड़े वर्ग हैं, जिनकी रहनुमाई का वो दावा कर रहे हैं उनमें से कितने लोगों को उन्होंने टिकट देकर विधायक बनाया है? जो विधायक जीत कर आए हैं, उनमें से कितनों को उन्होंने मंत्रिमंडल में शामिल किया है? जो लोग मंत्रिमंडल में शामिल हैं उन्हें किस तरह के विभाग दिए गए हैं और उनके पास कितना बजट है?
'नीतीश कुमार और तेजस्वी कर रहे हकमारी'
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मीडिया से कहा, "हम आपको आंकड़ा बता देते हैं. वर्तमान वित्तीय वर्ष में बिहार सरकार का बजट है 2 लाख 46 हजार करोड़ रुपये. इसमें से करीब-करीब 60 फीसद का जो बजट है वो सिर्फ दो व्यक्तियों के पास है. वो हैं नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव. हकमारी यही दो लोग कर रहे हैं."
मंगलवार को मधुबनी के खुटौना प्रखंड में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव क्यों पथ निर्माण मंत्री रहेंगे? अगर, तेजस्वी यादव खुद से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ले लें और जो मुस्लिम मंत्री हैं जिन्हें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का प्रभार दिया गया है अगर वे गृह मंत्री हो जाएं तो इससे कौन रोक रहा है?
ये सर्वे पड़ेगा भारी: प्रशांत किशोर
हाल में हुए सर्वे और गणना पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह इसलिए नहीं कराई गई है कि उनको हक देना है. ये समाज को बांटकर वोट लेने का उपाय खोजा गया है. ये नीतीश कुमार का अंतिम दांव, पासा फेंक कर लाभ उठाने का प्रयास है, लेकिन, ये जातिगत सर्वे उनको उल्टा पड़ा है. जो राजनीतिक समझ हमारी है, ये सर्वे नीतीश कुमार को बहुत भारी पड़ने वाला है.
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