मुजफ्फरपुर: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (One Nation One Election) को लेकर जारी घमासान के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. सोमवार (4 सितंबर) को बयान जारी कर जन सुराज पदयात्रा शिविर में प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर इसे सही नीयत से किया जाएगा और एक ट्रांजिशन का फेज हो 4 से 5 साल का ताकि सबको उस व्यवस्था में आने का समुचित समय मिले तो ये देश के हित में है.


प्रशांत किशोर ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व में देश में 17-18 सालों तक लागू था. दूसरा, भारत जैसे बड़े देश में, जहां मैं खुद इलेक्शन से जुड़ा रहा हूं, हर साल 25 फीसद भारत का हिस्सा करीब-करीब वोट करता है. ऐसे में पूरे समय सरकार चलाने वाले लोग कभी यहां इलेक्शन तो कभी वहां इलेक्शन कराने के चक्कर में फंसे रहते हैं. अगर, इसको एक बार या दो बार में किया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा.


'जनता को एक ही बार निर्णय लेना होगा


इसके फायदे का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि इससे खर्च भी बचेगा और जवाबदेही भी तय होगी. जनता को एक बार ही निर्णय लेना होगा. चूंकि ये व्यवस्था साल 1967 के बाद से करीब-करीब 50 वर्षों से बन गई है. इसको ओवरनाइट ट्रांजिशन करेंगे, तो उसमें दिक्कत आ सकती है. अभी सरकार शायद बिल ला रही है, बिल को आने दीजिए. अगर, सरकार की नीयत सही में ठीक है, तो इस चीज को होना चाहिए, होने से देश को फायदा है.


प्रशांत किशोर ने किए सवाल


मुजफ्फरपुर शहर में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि लेकिन, मैं इसमें सवाल जरूर डालूंगा. मान लीजिए कि आप आतंकवाद निरोधक कोई कानून लाते हैं, तो कानून लाना तो अच्छी बात है. आतंकवाद रुकना चाहिए, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन, आप उस कानून का इस्तेमाल किसी वर्ग विशेष या समाज विशेष को प्रताड़ित करने के लिए करते हैं, तो ये जस्टिफाइड नहीं है. किस नीयत से सरकार ला रही है, कितनी ईमानदारी से इसे लागू करती है इस पर निर्भर करता है. मूलत: इलेक्शन रोज न होकर अगर एक बार या दो बार होगा तो उससे देश का आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक फायदा है.


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