पटना: जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के दौरान वैशाली में एक सभा के दौरान चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने शनिवार को लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि अभी वैशाली में पदयात्रा हो रही है तो वैशाली के लोग चाहते हैं कि चुनाव लड़ना है और ईमानदार प्रत्याशी खड़ा होता है तो जन सुराज उनकी भी मदद करेगा लेकिन उसके लिए आपको खड़ा होना होगा, आपको मेहनत करनी पड़ेगी. दल बनाकर चुनाव लड़ने का कोई भी सवाल नहीं है जब तक पदयात्रा पूरी नहीं हो जाती है, ये दावा भी नहीं किया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले पदयात्रा खत्म हो जाएगी.


'जन सुराज ने उनकी मदद की'


किशोर ने कहा कि पदयात्रा पूरी होने के बाद जनता मिलकर तय करेगी कि दल बनेगा या नहीं. पदयात्रा के दौरान अभी हमारा कोई दल नहीं है लेकिन शिक्षकों ने आवाज उठाई कि हमारी मदद की जाए तो उन्होंने अपना प्रत्याशी चुना, जन सुराज ने उनकी मदद की और वहां से वो चुनाव जीत भी गए. वहीं, आगे उन्होंने कहा कि मुझे पूरे बिहार में पदयात्रा करनी है, चाहे इस पदयात्रा को पूरा करने में एक साल लगे या दो साल लग जाए. पदयात्रा की रूपरेखा तैयार करते समय हमारा अनुमान था कि एक जिले को 20 से 25 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा लेकिन आज एक जिले में 50 से 60 दिन का समय लग रहा है.


राहुल गांधी पर कसा तंज


चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि जन सुराज अभियान के तहत होने वाली इस पदयात्रा का मकसद कोई ऐसा आयोजन नहीं है कि जिसको एक निश्चित समय में पूरा किया जा सकता है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर चुटकी लेते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि कुछ लोगों ने तो देश में छह महीने में ही कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा पूरी कर दी है, जबकि हम छह महीने में चंपारण से वैशाली तक ही यात्रा कर पाए हैं. हम को पदयात्रा ईमानदारी और शुद्धता से करनी है चाहे इसे संपूर्ण बिहार में करने में एक साल या दो साल लग जाए.


नई शिक्षक भर्ती नीति पर साधा निशाना


प्रशांत किशोर ने नये शिक्षक भर्ती के लिए पर बीपीएससी परीक्षा पास करने के नए नियम पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार के लोग इतना भी समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार जो बोल रही है वो सही बोल रही है या गलत. सरकार अभी बोल रही है कि चार लाख शिक्षकों की परीक्षा बीपीएससी के द्वारा आयोजित कराई जाएगी लेकिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को ये पता भी है कि बीपीएससी ने बिहार में अभी तक जितनी भी परीक्षाएं करवाई हैं, बीपीएससी की क्षमता साल में मात्र साढ़े 12 हजार अभ्यर्थियों के ही परीक्षा आयोजित करवा सकती है. इन सब को देखकर समझा जा सकता है कि सरकार शिक्षकों की नौकरी को लेकर कितनी सक्रिय है.


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