पटना : पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की चुनावी रणनीति तैयार करने वाले जेडीयू के पूर्व उपाध्यक्ष और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस बार बिहार के चुनावी हलचल से ही गायब है. नीतीश सरकार से मतभेद के बाद विवादों में रहे प्रशांत किशोर ने चुनावी माहौल के लगभग 6 महीने पहले सार्वजनिक ऐलान किया था कि वह बिहार को अगले 10 सालों में देश के अग्रणी राज्य में ले जाने वाले प्लान बना कर इस चुनावी रण क्षेत्र में आएंगे. इसके तहत अपनी प्लानिंग बताते हुए यह भी कहा था कि अगले 100 दिनों तक प्रदेश के चप्पे-चप्पे में मौजूद बिहार का विकास चाहने वालों को अपने प्लान से जोडूंगा. प्रशांत के दावों के 100 दिन तो क्या अब तो प्रशांत का हीं अता पता नहीं है. पी के ने अपने यूथ बिग्रेड के साथ पटना की मीडिया के समक्ष अपने दावों के साथ नीतीश सरकार को भी चैलेंज दिया था कि विकसित राज्य के प्रारूप के साथ इस बार सरकार ही नहीं समाज को भी बदल डालेंगे लेकिन प्रशांत किशोर जो नीतीश सरकार से अलग होने के बाद से लगातार बिहार और केंद्र पर सोशल मीडिया के जरिए हमला बोल राजनीति का तापमान बढ़ाते रहते थे. अचानक सोशल मीडिया से भी किनारा कर चुके हैं उन पर भी कम सक्रिय हैं . कोरोना संक्रमण के दौरान 11 जुलाई को पीके ने बिहार में चुनाव कराए जाने का विरोध करते हुए अंतिम बार नीतीश कुमार पर सोशल मीडिया के जरिए हमला किया था और लिखा था नीतीश जी यह चुनाव नहीं कोरोना है लोगों की जिंदगी को चुनाव कराने की जल्दी में खतरे में मत डालिए.




प्रशांत किशोर के फिर से चुनावी रणनीतिकार बनने की खबर




पीके के यूं बिहार के सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने और चुपके से निकल जाने के पीछे एक बड़ा कारण कोरोना संक्रमण माना जा रहा है दरअसल मार्च में देशभर में इस महामारी की वजह से लॉकडाउन लागू कर दिया गया जिसमें सारी गतिविधियों पर विराम लगा दिया गया. तत्कालीन सियासी गतिविधियां भी इसी वजह से शांत पड़ गई लॉकडाउन के बीच यह भी खबर है कि पीके ममता की राजनीति सलाहकार बनने और मिशन बंगाल के लिए निकल पड़े हैं. राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा थी कि बिहार में रहते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पीके को मुश्किलों में डाल रहा था और अब यहां उनका रहना मुश्किल हो गया था शायद इसी वजह से पी के चुनाव रणनीतिकार वाले पेशे को अपना बेहतर हथियार मान बिहार से दरकिनार कर लिए.



प्रशांत किशोर गायब लेकिन बात बिहार के अब भी एक्टिव



इन दिनों बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल बढ़ गई है. ऐसे में राज्य की राजनीति को समझने वाले जानकारों को पी के की खोज बड़ी शिद्दत से हो गई है पी के भले ही शांत है लेकिन कुछ लोग सोशल प्लेटफॉर्म पर बात बिहार की के पेज पर एक्टिव है जहां से लगातार नीतीश कुमार के विरोध में कंटेंट जारी किए जा रहे हैं.