ABP Exclusive: बिहार में जोरशोर से तैयारी, ऑक्सीजन के लिए 14 स्टोरेज टैंक, अस्पतालों में लगेंगे प्लांट
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इसबार का जो स्ट्रेन है इसको समझने की जरूरत है. कई लोगों की आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव है लेकिन उनके सारे सिम्टम्स कोविड के हैं और उनकी सिटी स्कैन से कोविड की पुष्टि हो रही है. ऐसे केस के लिए सभी मेडिकल कॉलेज में अलग से व्यवस्था की गई है.
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पटनाः कोरोना वायरस के दूसरे स्ट्रेन से हर तरफ लोगों की परेशानी और चित्कार दिख रही है. ऐसे में राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार की नजरें इसपर टिकीं हैं कि कैसे इस वायरस को खत्म किया जा सके. लगातार इस दिशा में पहल हो रही है कि मरीजों को वेंटिलेटर, बेड या फिर ऑक्सीजन की कमी ना हो. बिहार में बढ़ रहे आंकड़ों, यहां की व्यवस्था और आने वाले समय में क्या कुछ हो रहा है इसपर एबीपी ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से बात की. पढ़िए उनसे बातचीत के प्रमुख अंश.
वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर प्रत्यय अमृत राज ने कहा कि अभी गंभीर आपदा का समय है. हमारे सामने अभी दो तरह की चुनौतियां हैं. सबसे पहले लोगों के मन में जो भय है वो समाप्त करना होगा. लोगों को सूचना दी जा रही है कि कैसे शुरुआती दिनों में क्या करना है और क्या नहीं करना है. हर जिले में कोविड केयर सेंटर बने हैं जो ऑक्सीजन बेड के साथ हैं. पटना के अस्पतालों में प्रेशर ज्यादा है इसलिए विशेष चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है.
अनुरोध के बाद राज्य को मिले हैं डिफेंस के डॉक्टर्स
उन्होंने कहा कि बीते साल बिहटा हॉस्पिटल को तैयार किया गया. पीएम केयर फंड से वहां डीआरडीए की ओर से 500 बेड के संचालन की व्यवस्था की गई थी. इसबार भी भारत सरकार से अनुरोध के बाद डिफेंस के कुछ मेडिकल डॉक्टर्स मिले हैं. बिहटा में अभी 50 बेड्स ही कार्यरत हैं. हमारा लक्ष्य है कि उसको शीघ्र बढ़ाकर 150 से 200 कर दें हम.
पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में जो भी व्यवस्था थी पिछले साल वह भी एक संस्था द्वारा ही की गई था. इस वर्ष भी डॉक्टर और लोगों के सहयोग से इसे संचालित किया जा रहा है. यहां देखा जा रहा है कि इन्हें अभी मदद की क्या-क्या आवश्यकता है. हमारा लक्ष्य है कि इसे रविवार से शुरू कर दें. इसके अलावा राजेंद्र नगर आई हॉस्पिटल में नया बिल्डिंग तैयार है. वहां भी सौ बेड की तैयारी कर ली गई है.
पीएमसीएच में 75 प्रतिशत बेड कोविड के लिए आरक्षित
प्रत्यय अम्रित ने कहा कि आज के दिन में जो रियल चैलेंज है वो ये है कि अभी जो भी व्यक्ति संक्रमित हो रहा है और जो माइल्ड है मॉडरेट है उनको किस तरह से ट्रीट किया जाए. जिस प्रकार का संक्रमण अभी देखने को मिल रहा है वो बहुत ही कम अवधि में माइल्ड से मॉडरेट में पहुंच जा रहा है. इसको मैनेज करने के लिए जो भी हमारे आईसीयू वाले हॉस्पिटल हैं वो लगे हुए हैं. मरीजों की संख्या को देखते हुए एक और निर्णय लिया गया है और पीएमसीएच में 75 प्रतिशत बेड कोविड के लिए आरक्षित कर दिया गया है.
एम्स में 250 बेड की सुविधा, बढ़ाई जाएंगी स्थाई व्यवस्था
अब तीन बड़े हॉस्पिटल को कोविड डेडिकेटेड कर दिया गया है, दरभंगा मेडिकल कॉलेज और मुजफ्फरपुर कॉलेज में भी 75 प्रतिशत बेड कोविड के लिए रिजर्व कर दिया गया है. पटना में आईजीआईएमए, पीएमसीएच, एम्स और एनएमसीएच को कोविड डेडिकेटेड कर दिया गया है जिसमें एम्स में 250 बेड की सुविधा है. यह भी कोशिश कर रहे हैं कि जो भी स्थाई व्यवस्था है उसको और तेजी से कैसे बढ़ाया जाए.
संविदा पर बहाल किए जाएंगे एक हजार डॉक्टर
प्रधान सचिव ने कहा कि शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में तीन अहम निर्णय लिए गए. पहला ये कि एक हजार डॉक्टर संविदा पर बहाल होंगे. उनसे अगले दस से 15 दिन में ही हम सेवा ले सकेंगे. दूसरी चुनौती ऑक्सीजन के स्टोरेज टैंक की है, उसके लिए भी आज कैबिनेट में मंजूरी मिली है और 14 स्टोरेज टैंक लगाए जा रहे हैं. पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमेस और डीएमसीएच में दो दो टैंक लग रहे हैं. बाकी छह संस्थान हैं वहां एक एक टैंक लगेंगे. एक टैंक लगभग 20 हजार लीटर का है. कोशिश है कि अगले एक महीने के अंदर ये टैंक स्थापित हो जाएं.
प्राइवेट हॉस्पिटल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की तैयारी
ऑक्सीजन की कमी को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. इस संबंध में एबीपी को प्रत्यय अम्रित ने बताया कि टीम लगातार फील्ड सर्वे कर रही है. सभी मेडिकल कॉलेज से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फीडबैक लिया गया है. प्राइवेट हॉस्पिटल में तो ऑक्सीजन प्लांट लगाने की तैयारी शुरू है. कुछ हॉस्पिटल ने ऑक्सीजन प्लांट पहले से ही लगाया है.
कोरोना की चुनौतियों को देखते हुए उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने ये है कि हमारे काबिल लैब तक्नीशियन बड़ी संख्या में संक्रमित हुए हैं. ऐसी स्थिति में लैब को दो से तीन दिन बंद करना पड़ रहा है. डाटा एंट्री ऑपरेटर भी काफी संख्या में संक्रमित हुए हैं. चुनौती गंभीर है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि लोगों को गलत सूचना मिले. हमलोगों का दायित्व है कि जो भी जांच कराते हैं उन्हें एक तय समय सीमा के अंदर रिपोर्ट दे दें.
इस बार के स्ट्रेन को समझने की जरूरत है
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इसबार का जो स्ट्रेन है इसको समझने की जरूरत है. कई लोगों की आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव है लेकिन उनके सारे सिम्टम्स कोविड के हैं और उनकी सिटी स्कैन से कोविड की पुष्टि हो रही है. ऐसे केस के लिए सभी मेडिकल कॉलेज में अलग से व्यवस्था की गई है. सभी जगह 25 बेड की अलग व्यवस्था की गई है. जो बाहर से आ रहे हैं और उन्हें अपने गांव में परेशानी है तो उनके लिए चार दिनों के लिए सभी जिले के अनुमंडल मुख्यालय में बड़े पैमाने पर क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं जहां वो चार दिन तक रह सकते हैं. वहां उनका टेस्ट होगा और रिपोर्ट निगेटिव आने तक घर में आइसोलेट रहेंगे.
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