Bihar Politics: क्या नीतीश कुमार NDA में जाने की कर रहे हैं तैयारी? राष्ट्रपति का आगमन संयोग या प्लान! समझिए
Nitish Kumar News: मोतिहारी में सीएम नीतीश कुमार के दिए गए बयान के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है. वहीं, इसको लेकर बिहार में कयासों का दौर शुरू हो गया है.
पटना: सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अभी महागठबंधन में शामिल हैं और आरजेडी (RJD), कांग्रेस (Congress), वामदल के साथ मिलकर बिहार सरकार के मुख्यमंत्री हैं. 9 अगस्त 2022 को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए का दामन छोड़कर महागठबंधन (Mahaagathabandhan) में शामिल हुए तो उन्होंने कहा था कि अब कभी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे, लेकिन एक बार फिर ऐसा दिख रहा है कि नीतीश कुमार करवट ले सकते हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने बीजेपी के साथ दोस्ती से आज कर दी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को मोतिहारी के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, बीजेपी नेता राधा मोहन सिंह के सामने बीजेपी के साथ दोस्ती की बात खुले मन से स्वीकार किया. नीतीश कुमार ने मुस्कुराते हुए बीजेपी नेताओं की तरफ देखते हुए कहा कि आप जितने लोग हमारे हैं सब साथी हैं. छोड़िए ना भाई, हम अलग हैं आप अलग हैं. जब तक हम जीवित रहेंगे, हमारी दोस्ती खत्म नहीं होगी. आप लोग के साथ भी मेरा संबंध रहेगा चिंता मत करिए.
अभी नीतीश कुमार महागठबंधन में हैं, लेकिन द्रौपदी मुर्मू को उन्होंने आमंत्रित किया है. हालांकि यह एक संयोग भी कहा जा कहा जा सकता है, लेकिन जिस तरह से नीतीश कुमार ने आज बीजेपी के साथ दोस्ती की बात मंच से बोले हैं. इससे कयास लगाना भी गलत नहीं होगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पहुंचीं हैं पटना
यह बात सही है की राजनीति में वैचारिक मतभेद होते हैं लेकिन आपसी मेल जोल बरकरार रहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुराने रिकॉर्ड को देखा जाए तो यह यह कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश कुमार क्या फिर पाला बदल सकते हैं. बता दें कि चौथे कृषि रोड मैप के शुभारंभ के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को पटना आईं. इससे पहले 2013 में दूसरा कृषि रोड मैप का शुभारंभ हुआ था और नीतीश कुमार उस वक्त के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को बुलाए थे. प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति बनने में भी जेडीयू ने समर्थन दिया था और इसके कुछ महीने बाद नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़ दिए थे. 2017 में तीसरा कृषि रोड मैप लाया गया, जिसका शुभारंभ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी. नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ रहते हुए भी रामनाथ कोविंद को समर्थन दिया था और कृषि रोड मैप के कुछ महीने बाद में महागठबंधन छोड़कर फिर से एनडीए में शामिल हो गए थे.
'स्वतंत्र निर्णय लेने में नीतीश कुमार माहिर हैं'
क्या नीतीश कुमार फिर से पाला बदल सकते हैं? इस पर राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण कुमार पांडे ने कहा कि मुख्यमंत्री बीजेपी के नेताओं की ओर इशारा करते हुए बोले हैं आपसे दोस्ती है और दोस्ती कोई गलत चीज नहीं है. दोस्ती तो किसी से भी रह सकती. भले ही दल अलग होते हैं, लेकिन दोस्ती सभी से रहती है. अभी नीतीश कुमार एनडीए में जा सकते हैं यह तो कहना मुश्किल है क्योंकि अभी पांच राज्यों में चुनाव होना है. पांच राज्यों के चुनाव में अगर बीजेपी मजबूत दिखी तो नीतीश कुमार क्या कर सकते हैं? यह कहना मुश्किल है. क्योंकि स्वतंत्र निर्णय लेने में नीतीश कुमार माहिर हैं. इससे पहले कई निर्णय उन्होंने अचानक लिया है और किसी के दबाव में वे राजनीति नहीं किए हैं. अरुण कुमार पांडे ने कहा कि यह बात भी सही है कि नीतीश कुमार अकेले अपने दम पर वह मुख्यमंत्री नहीं रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार की जरूरत सभी को है. चाहे आरजेडी हो या बीजेपी हो.
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